अध्यात्म

Chanakya Niti: इस कारण से व्यक्ति के जीवन में आता है बुरा समय, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य ने “चाणक्य नीति” जैसा महान ग्रंथ लिखा है, जिसमें मनुष्य के जीवन से जुड़ी हुई बहुत सी बातों का उल्लेख किया गया है। चाणक्य नीति में ऐसी बहुत सी बातें बताई गई हैं जिनका पालन किया जाए तो मनुष्य अपने जीवन की कई परेशानियों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। चाणक्य नीति में मानव कल्याण से जुड़ी हुई बातें लिखी गई हैं।

आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य अपने समय के एक महान विद्वान माने जाते थे और उनके द्वारा बताई गई नीतियां आजकल के समय में भी बेहद कारगर मानी जाती हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर “चाणक्य नीति” की रचना की है।

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में कुछ ऐसी स्थितियां बताई हैं, जिनके होने से व्यक्ति की किस्मत खराब हो सकती है। चाणक्य नीति अनुसार ऐसी कुछ बातें हैं जो व्यक्ति के बुरे समय का कारण बनती हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर चाणक्य नीति क्या कहती है।

चाणक्य नीति अनुसार ये बातें व्यक्ति के बुरे समय का बनती हैं कारण

1. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का उल्लेख किया है कि अगर किसी आदमी की पत्नी जवानी में मर जाती है तो ऐसी स्थिति में वह दूसरी शादी करके अपना जीवन गुजार सकता है परंतु अगर किसी व्यक्ति की पत्नी बुढ़ापे में मर जाती है तो यह दुर्भाग्य का कारण बनता है। बुढ़ापे में पत्नी का साथ छूट जाने की वजह से व्यक्ति को बहुत परेशानी होती है।

2. चाणक्य नीति अनुसार, यदि कोई आदमी किसी अन्य पर निर्भर है तो इसके कारण उसका जीवन नर्क के समान बन जाता है क्योंकि ऐसे आदमी को किसी भी प्रकार की आजादी नहीं मिलती है। दूसरों पर निर्भर रहने वाले इंसान का भाग्य बहुत खराब माना गया है।

3. आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि जो व्यक्ति पैसे के महत्व को नहीं समझता है। बेवजह का पैसा खर्च करता रहता है, वैसे व्यक्ति का स्वभाव बहुत ही झगड़ालू होता है। इस तरह के व्यक्ति महिलाओं को हमेशा परेशान करते रहते हैं। ऐसे लोगों का कब नाश हो जाए इसके बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है।

4. आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि यदि किसी पुरुष का मेहनत से कमाया हुआ धन उसके दुश्मनों के हाथ में चला जाता है तो उसको दोहरी मार पड़ती है। चाणक्य नीति में इस बात का जिक्र किया गया है कि उसी का धन उसी के खिलाफ दुश्मन करने लगते हैं।

5. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में इस बात का उल्लेख किया है कि मनुष्य के अंदर कुछ गुण ऐसे होते हैं जो अपने आपसे उत्पन्न होते हैं। दान करना, मीठी-मीठी बातें करना, लोगों की सेवा करना, समय पर क्या सही है और क्या गलत है, इसका फैसला लेना। यह सभी गुण व्यक्ति कहीं और से नहीं सीख सकता। उसके अंदर स्वयं उत्पन्न होते हैं।

6. आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि जिस मनुष्य के मन में पाप रहता है, वह चाहे अपने आपको साफ दिखाने की कितनी भी कोशिश कर ले, उसका मन वैसा का वैसा ही रहता है। आचार्य चाणक्य ने एक उदाहरण के माध्यम से इस बात को समझाने की कोशिश की है कि जिस प्रकार बर्तन में रखी शराब आग में झुलसने के पश्चात भी पवित्र नहीं होती। उसी प्रकार जिस व्यक्ति के मन में पाप का वास होता है, उसका मन कभी नहीं बदलता है।

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