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“मां फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में करूंगा.. शहीद शंकर ने अपनी मां से कहे थे फोन पर अंतिम शब्द

अपना घर बार छोड़कर बॉर्डर पर तैनात फौजी देश की रक्षा में दिन-रात लगे रहते हैं, बॉर्डर पर फौजी तैनात होकर हम सभी लोगों की सुरक्षा करते हैं, तभी हम अपने घरों में सुरक्षित चैन की नींद ले पाते हैं, घर परिवार के कर्तव्य से पहले इनको अपना देश प्यारा होता है, यह परिवार के लिए कर्तव्य केवल छुट्टियों के दौरान निभाते हैं, परंतु अगर देश की रक्षा की बात आ जाए तो यह हर समय तैयार रहते हैं, जैसा कि आप लोग जानते हैं देश पर कोरोना वायरस का भारी संकट मंडरा रहा है, इसी जानलेवा महामारी के बीच पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है, कोरोना वायरस से अपने देश को बचाने की बजाय पाकिस्तान पूरी रणनीति भारत के खिलाफ लगा रहा है, आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में गंगोलीहाट तहसील के नाली गांव के नायक शंकर सिंह के शहीद होने की खबर सुनकर पूरा क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है, जब इनकी शहादत की खबर इनको मां और पत्नी को पता लगी तो इनको काफी गहरा धक्का लगा और यह बेहोश हो गई, अपने लाल की शहादत की खबर सुनकर इनकी मां का बुरा हाल हो गया।

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि शहीद शंकर की अंतिम बार बात फोन पर अपनी मां से हुई थी, यह अपने मां से फोन पर बात कर ही रहे थे, इन्होंने अपनी मां को अंतिम शब्द बोलै “मां फायरिंग शुरू हो गई है, अभी फोन रखता हूं, बाद में करूंगा…” लेकिन किसी को क्या पता था कि इसके बाद शंकर की कभी कॉल नहीं आएगी, शहादत की खबर सुनकर मां और पत्नी अचेत हो गई और इनके पिता की आंखों से तो आंसू ही रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं, पूर्व सैनिक पिता की आंखें पथराई है, इनका 5 वर्ष का एक बेटा है, पिता की शौक खबर सुनकर उनका बेटा गुमसुम हो गया।

बता दें कि 21 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात नायक शंकर सिंह माहरा सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से थे, इनके पिता का नाम मोहन सिंह है जो कि सेना से सेवानिवृत्त है, उनके छोटे भाई का नाम नवीन सिंह है जो कि सेना के राष्ट्रीय राइफल में है और यह वर्तमान में जम्मू कश्मीर में तैनात है, जो शहीद के पार्थिव शरीर के साथ घर आ रहा है, शहीद शंकर सिंह की माता को जब शनिवार की रात यह खबर मिली तो इनकी माता जानकी देवी और पत्नी इंदू बेहोश हो गई और बेहोश होकर यह गिर पड़ी, तब आस-पास के गांव वाले वहां पर इकट्ठे हुए और उन दोनों को होश में लाया, गांव के सभी लोग इनको दिलासा देने में लगे हैं।

शहीद शंकर सिंह की भर्ती सेना में 11 साल पहले हुई थी और यह वर्तमान समय में 21 कुमाऊं रेजिमेंट में नायक पद पर जम्मू-कश्मीर में तैनात थे, 7 वर्ष पहले इनका विवाह हुआ था, इनकी एक पुत्री और एक पुत्र है, लॉक डाउन की वजह से इनकी माता और बेटा गांव हुए आए हुए थे, परंतु शंकर सिंह की शहादत की खबर सुनकर पूरा गांव काफी दुखी है, डेढ़ महीने पहले ही शंकर सिंह अवकाश पूरा करने के पश्चात ड्यूटी पर लौटे थे और जाते-जाते यह अपनी मां से बोल कर गए थे कि वह जल्द ही घर आएंगे, परंतु सिर्फ डेढ़ महीने के बाद ही इनका लाल तो घर वापस नहीं आया लेकिन इसके शहीद होने की सूचना अवश्य मिल गयी, शंकर की मां का रो-रो कर बुरा हाल है।

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