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16 अप्रैल के एपिसोड में आखिर ऐसा क्या था कि वर्ल्ड में नंबर वन बन गया रामायण? आप भी जान लें

जब से दूरदर्शन पर एक बार फिर से रामानंद सागर के निर्देशन में बने रामायण का टेलीकास्ट शुरू हुआ है, यह हर दिन एक नया रिकॉर्ड बनाता चल रहा है। सोशल मीडिया में भी रामायण खूब सुर्खियां बटोर रहा है। रामायण के एक्टर्स को भी इंटरनेट पर इन दिनों खूब ढूंढा जा रहा है। उनकी जिंदगी से जुड़ी छोटी से बड़ी बातों में लोग काफी दिलचस्पी लेते हुए नजर आ रहे हैं। यही नहीं, इस धारावाहिक की टीआरपी भी इस दौरान आसमान छूने लगी है। इसी बीच एक और नया रिकॉर्ड रामायण के नाम दर्ज हो गया है।

डीडी इंडिया ने किया ट्वीट


डीडी इंडिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया है, जिसमें यह जानकारी दी गई है कि बीते 16 अप्रैल को जो रामायण का एपिसोड प्रसारित किया गया था, दर्शकों के मामले में इसने विश्व रिकॉर्ड बना डाला है। जी हां, बीते 16 अप्रैल को प्रसारित हुए एपिसोड को दुनियाभर में 7.7 करोड़ दर्शकों ने देखा है। इस तरह से यह दुनिया का सबसे अधिक देखा जाने वाला धारावाहिक बन गया है। यह नया रिकॉर्ड यह बताने के लिए काफी है कि धार्मिक सीरियल को लोग इस वक्त कितना पसंद कर रहे हैं। वैसे, कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर रामायण के इस एपिसोड में ऐसा क्या था कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने इसे देख लिया।

15 अप्रैल के एपिसोड में

दरअसल 15 अप्रैल को जो एपिसोड प्रसारित हुआ था, उसके अंत में यह होता है कि इंद्रजीत लक्ष्मण पर शक्ति बाण से प्रहार करते हैं, जिससे लक्ष्मण मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं। हनुमानजी विभीषण के सुझाव के अनुसार उनकी जान बचाने के लिए सुषैण वैध को लेकर आ जाते हैं, मगर सुषैण वैध शुरू में लक्ष्मण का इलाज करने से मना कर देते हैं। हालांकि राम और विभीषण के बार-बार अनुरोध के बाद लक्ष्मण का इलाज करने के लिए वे तैयार हो जाते हैं। सुषैण वैद्य श्रीराम से बताते हैं कि अपने भाई को यदि वे जिंदा देखना चाहते हैं, तो हिमालय पर्वत से संजीवनी बूटी लाना होगा। इस पर श्रीराम से आज्ञा लेकर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए चल पड़ते हैं

16 अप्रैल के एपिसोड में

फिर 16 अप्रैल के एपिसोड में यह देखने को मिला था कि संजीवनी बूटी नहीं मिलने पर पूरा पर्वत ही हाथ में उठाकर हनुमान जी ले आते हैं। इसके बाद सुषैण वैद्य का इलाज मिलने पर लक्ष्मण होश में आ जाते हैं। हालांकि, लंका नरेश रावण और मेघनाथ को जैसे ही यह पता चलता है, वे गुस्से से लाल हो जाते हैं। इसके बाद अजय रथ को पाने के लिए पिता की आज्ञा लेकर मेघनाद निकल पड़ता है, मगर विभीषण से जानकारी मिलने पर मेघनाथ का यज्ञ रोकने के लिए अपनी सेना के साथ बाधा डालने लक्ष्मण पहुंच जाते हैं और युद्ध के लिए मेघनाद को ललकारते हैं। क्रोधित होकर लक्ष्मण पर मायावी बाण का प्रयोग मेघनाद करता है, लेकिन कामयाबी न मिलने पर वह गायब हो जाता है।

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