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इस फल को हनुमान फल और लक्षमण फल के नाम से जानते हैं लोग, करता है इन गंभीर बीमारियों का नाश

हनुमान फल को लक्ष्मण फल के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजी में लोग इसे सरसोप या ग्रेविओला कहते हैं. फूड कन्फेक्शनरी के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला यह फल एनोना परिवार से संबंधित एनोना म्यूरीकाटा नाम के छोटे पर्णपाती उष्णकटिबंधीय सदाबहार पेड़ पर आता है. इस फल के पत्ते, छाल, जड़ें, फली और बीज आदि का इस्तेमाल कई रोगों में किया जाता है. इलाज के लिए इन चीजों का पारंपरिक काढ़ा बनाकर रोगी को दिया जाता है.

एक शोध की मानें तो लगभग 212 फाइटोकेमिकल्स हनुमान फल के पौधे में पाए जाते हैं, जिनमें एल्कलॉइड, मेगास्टिगमन, फ्लेवोनोल ट्राइग्लोसाइड्स, फिनोलिक्स, साइक्लोपेप्टाइड्स और आवश्यक तेल अहम हैं. साथ ही हनुमान फल एंटी-कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सिडेंट, एंटी-ऑर्थ्रेटिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-कॉन्वल्सेंट, हेपेटोप्रोटेक्टिव और एंटी-डायबिटिक मैकेनिज्म के लिए भी लाभकारी बताया जाता है.

पोषक तत्वों की मात्रा

100 ग्राम हनुमान फल में .16 ग्राम पानी और एनर्जी की 276 के.जे. मात्रा होती है. इतना ही नही, इसमें इसमें 1 ग्राम प्रोटीन, 3.3 ग्राम खाने वाला फाइबर, 14 मिलीग्राम कैल्शियम, 0.6 मिलीग्राम आयरन, 21 मिलीग्राम मैग्नीशियम, 278 मिलीग्राम पोटेशियम, 27 मिलीग्राम फॉस्फोरस, 0.1 मिलीग्राम जिंक, 20.6 मिलीग्राम विटामिन सी और 14 एमसीजी फोलेट पाया जाता है.

अल्सर बीमारी में मददगार

हनुमान फल में फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और ट्राइसेप्स जैसे सक्रिय यौगिकों मौजूद होते हैं, जो कि अल्सर रोधी माने जाते हैं. पेट के साथ-साथ यह अल्सरेटिव घावों या गैस्ट्रिक अल्सर को भी कम करने में मदद करते हैं.

लीवर को बचाए नुकसान से

ग्रेविओला की हेपाप्रोटेक्टिव और बिलीरुबिन- लोवरिंग एक्टिविटी के बारे में एक शोध में जिक्र किया गया है. बिलीरुबिन की उच्च मात्रा से लीवर को नुकसान पहुंचता है, जिससे कि बीमारी होने की संभावना होती है. यदि आप हनुमान फल का सेवन करते हैं तो कार्बन टेट्राक्लोराइड और एसिटामिनोफेनके टॉक्सिन से लीवर की रक्षा करते हुए बिलीरुबिन के हाई लेवल को सामान्य स्तर तक लाने में मदद मिलती है.

गठिया के दर्द से दिलाए निजात

हनुमान फल के उपयोग से गठिया के दर्द से कुदरती तौर पर राहत मिलती है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व मौजूद होते हैं, जो गठिया के दर्द से संबंधित उत्तेजनाओं को दबाते हैं और सूजन कम करने में मदद करते हैं.

डायबिटीज रखे कंट्रोल में

इसमें एंटीडायबिटिक और हाइपोलिपिडेमिक एक्टिविटीज होती हैं. एक शोध के अनुसार यदि 2 सप्ताह तक रोजाना इस फल को खाया जाए तो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है. साथ ही इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट प्रभाव अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाते हैं, जिसे टाइप 1 डायबिटीज का मुख्य कारण माना जाता है.

कैंसर को रोकने वाले गुणों से भरपूर

साथ ही इसमें कैंसर को रोकने वाले गुण मौजूद होते हैं, जो कई तरह के कैंसर जैसे स्तन, कोलोरेक्टल, प्रोस्टेट, वृक्क, फेफड़े, अग्नाशय, डिम्बग्रंथि के होने की संभावना को कम कर देते हैं. इसमें मौजूद साइटोटॉक्सिसिस जैसे कि एसिटोजेनिंस मुख्य रूप से कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देता.

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