अध्यात्म

मंदोदरी की ये कहानी से होंगे आप अनजान, पार्वती जी के श्राप के कारण १२ वर्ष तक बनी रही मेंढक

रामायण की कथा हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और इनके प्रमुख पात्रों के बारे हम जानते भी हैं। पर रामायण में कुछ पात्र ऐसे भी थें जिनकी भूमिका तो बेहद महत्वपूर्ण रही पर उनके बारें लोगों को ज्यादा जानकरी ना हो सकी.. ऐसी ही एक पात्र थी मंदोदरी, लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी के बारे में अधिकांश लोगों के कुछ खास ज्ञान नही है तो चलिए आज हम आपको अपने विशेष लेख में मंदोदरी से जुडी रोचक और कुछ अनसुनी बातों के बारे बताते हैं।

जिसे आप रावण की पत्नी के रूप में जानते है वो मंदोदरी पिछले जन्म में एक अप्सरा थी। जी हां, पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मधुरा नामक एक सुंदर अप्सरा देवी पार्वती की अनुपस्थिति में कैलाश पर्वत पर पहुंची और वहां जाकर अपने रूप और कलाओं से भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयास करने लगी। लेकिन तभी देवी पार्वती वहां पहुंच गई और उसके हरकत को देख उस अप्सरा को श्राप दे दिया कि वह 12 साल तक मेढक के रूप में कुएं में रहेगी। हालंकि बाद में भगवान शिव के आग्रह पर माता पार्वती ने अपने श्राप का निजात भी बताया और कहा कि कठोर तप के बाद ही मधुरा अपने असल स्वरूप में वापस आ सकती है।

मां पार्वती के श्राप से मधुरा मेढ़क बन गई और उनके कहे अनुसार ही वो श्राप से मुक्ति पाने के लिए कठोर तप करने लगी.. उसके कई साल बीतने के बाद जब असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा नें एक पुत्री की कामना से तपस्या की तो इसी बीच मधुरा भी अपनी कठोर तपस्या से श्राप मुक्त हो गई। जैसे ही श्राप मुक्त हो मधुरा कुएं से बाहर निकली मयासुर-हेमा को अपना तप साकार होता नजर आया और उन्होने उसी क्षण मधुरा को बेटी के रूप में गोद ले लिया । उसके बाद मयासुर ने अपनी गोद ली गई पुत्री का नाम मंदोदरी रख दिया हैं। बाद में यही मंदोदरी रावण की पत्नी बनी।

रावण और मंदोदरी के विवाह के विषय में पौराणिक मान्यता ये है कि एक बार जब रावण, मयासुर से मिलने आया तो वहां उनकी सुंदर पुत्री को देखकर मोहित हो गया और उसने मंदोदरी से विवाह करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन मायासुर ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। पर वहीं मंदोदरी जानती थी कि रावण अहंकारी प्रवृति के साथ बेहद शक्तिशाली भी है, इसलिए वो उसके डर से और अपने पिता की सुरक्षा के लिए उसके साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गई। इस विवाह से रावण और मंदोदरी के तीन पुत्र हुए, अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय।

मंदोदरी एक पतिव्रता स्त्री थी लेकिन वो जानती थी कि उसका पति गलत मार्ग पर चल रहा है और जब रावण माता सीता को हर करके लंका ले आया तो मंदोदरी ने सीता को वापस भेजने के लिए रावण से निवेदन भी किया पर अहंकारी रावण ने अपनी पत्नी की एक ना सुनी । हालांकि जब इसके परिणाम स्वरूप युद्ध हुआ तो  मंदोदरी ने एक पतिव्रता स्त्री के धर्म का पालन करते हुए रावण के विजय की कामना की ।

मंदोदरी के संबन्ध में एक किवदंती ये भी प्रचलित है कि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का विवाह विभीषण से हुआ था। प्रचलित किवदंती के अनुसार रावण और उसके पुत्रों का अंत होने के बाद शोक में मंदोदरी ने खुद को महल में कैद कर लिया था। इस दौरान रावण के भाई विभीषण लंका का राजपाट संभाल रहे थें। कुछ सालों बाद मंदोदरी अपने महल से बाहर निकली और विभीषण से विवाह करने के लिए तैयार हो गई। विवाह के बाद मंदोदरी और विभीषण ने साथ मिलकर लंका के साम्राज्य को सम्भाला।

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