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चॉल में ज़िन्दगी बिताई, नौकरी किया, बुढ़ापे में शुरू किया HDFC बैंक, जानें कौन थे इस के संस्थापक

हसमुखभाई पारेख ने भारत के बैंकिंग सेक्टर में नया कीर्तिमान दर्ज किया था. हसमुखभाई पारेख गुजरात के रहने वाले थे. हसमुखभाई का जन्म गुजरात के सूरत में 10 मार्च 1911 को हुआ था. हसमुखभाई इस दुनिया में नहीं है हालांकि उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में जो काम किया है उसके चलते वे हमेशा याद किए जाते रहेंगे.

अपार संपत्ति के मालिक रहे हसमुखभाई चाहते थे कि भारत के हर नागरिक के पास अपना खुद का घर हो. अपने इस सपने के लिए उन्होंने HDFC की नींव रखी थी. उन्हें भारत में होम लोन का जनक (Father of Home Loan) भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने वित्तीय संस्थान (Home Finance Institution) एचडीएफसी की शुरुआत की थी.

चॉल में गुजरा बचपन

हसमुखभाई कभी चॉल में रहा करते थे. चॉल में ही उनका बचपन गुजरा. पारेख ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फेलोशिप पाई थी. इसके बाद भारत आकर उन्होंने बॉम्बे के सेंट जेवियर्स कॉलेज से डिग्री हासिल की.

ICICI बैंक में की नौकरी

हसमुखभाई पारेख ने देश के प्रतिष्ठित बैंक ICICI बैंक में भी नौकरी की थी. ICICI बैंक में उन्होंने डेप्यूटी जनरल मैनेजर से लेकर बैंक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के रुप में भी काम किया. साल 1976 तक उन्होंने बैंक में काम किया और फिर वे रिटायर्ड हो गए. लेकिन बोर्ड के चेयरमैन के रुप में काम जारी रखा.

icici bank

भारतीयों को पहली बार होम लोन (Home Loan) की सुविधा उपलब्ध कराई

पारेख दूरदर्शी सोच रखते थे. उन्होंने बैंकिंग के क्षेत्र में ऐसा काम किया था जो उनसे पहले और कोई नहीं कर पाया था. भारतीयों को पहली बार होम लोन (Home Loan) की सुविधा हसमुखभाई ने ही उपलब्ध कराई थी. उन्होंने ICICI बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (HDFC) की शुरुआत की थी तब उनकी उम्र 66 साल थी.

भारत सरकार ने किया था पद्म भूषण सम्मान

हसमुखभाई ने जो कुछ भी अपने देश के लोगों के लिए किया था उसका उन्हें उचित सम्मान भी मिला था. हसमुखभाई को निधन से दो साल पहले भारत सरकार ने साल 1992 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया था. यह सम्मान उनके बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में दिए गए अमूल्य योगदान के लिए प्रदान किया गया था.

निजी जीवन में रहा अकेलापन, 1994 में हो गया था निधन

हसमुखभाई की निजी जिंदगी की बात करें तो उनकी कोई संतान नहीं हुई. वहीं पत्नी के निधन के बाद वे निजी जीवन में अकेले पड़ गए थे. बता दें कि 1911 में जन्मे हसमुखभाई ने साल 1994 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनका निधन 18 नवंबर 1994 को हो गया था.

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