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ट्विन टॉवर: लोगों ने पाई-पाई जोड़कर बुक किए थे घर, अब न घर मिला, न पैसा फिर भी है खुश, जानें वजह

अवैध तरीके से बनी भ्रष्टाचार की दो भव्य इमारतों को रविवार दोपहर ठीक ढाई बजे ध्वस्त कर दिया गया. बात हो रही है ट्वी टॉवर की. ट्विन टॉवर देशभर में सुर्ख़ियों में है. ट्विन टॉवर नाम की भव्य ईमारत की ऊंचाई कुतुबमीनार से भी अधिक थी हालांकि अब यह टॉवर धराशायी हो गया है.

twin tower demolition

ट्विन टॉवर नोएडा में स्थित था. हालांकि इसे रविवार दोपहर को ढहा दिया गया. ट्विन टावर में दो ईमारत थी. एक 29 मंजिला और एक 32 मंजिला. लेकिन नोएडा के इस टॉवर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. अवैध तरीके से निर्माण के आरोप लगे. मामला कोर्ट में पहुंचा. कई सालों तक मामला कोर्ट में रहा. इसके बाद साल 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे ढहाने का आदेश दे दिया था.

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ट्विन टावर में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने घर बुक करवाए थे. नोएडा की हरियाली के बीच कई लोगों का घर खरीदने का सपना था. कई लोगों ने ट्विन टावर में घर खरीदने के लिए पहल की थी और अपने सपने को पूरा करने का मन बनाया था लेकिन ट्विटर टॉवर टूटने के साथ उनका घर का सपना भी टूट गया. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन लोगों ने ट्विन टॉवर में घर खरीदा था उनका क्या हुआ.

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क्या उन लोगों को बदले में पैसा मिला या बदले में कोई दूसरा घर मिला. प्रभजीत सिंह नाम के एक बुजुर्ग ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, अगस्त, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पैसा वापस करने का आदेश दिया था, जो अभी तक नहीं मिला. दूसरी जगह फ्लैट देने का ऑफर दिया था, लेकिन वे फ्लैट लेने लायक नहीं थे.

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बता दें कि ट्विन टॉवर का निर्माण सुपरटेक नाम की कंपनी ने किया था. इसमें दो बिल्डिंग एक एपेक्स और एक सियान थी. साल 2009 में इसमें घर खरीदने के लिए बुकिंग लॉन्च की गई थी. तब 600 से अधिक खरीदारों ने बुकिंग की थी. 600 में से अब तक 500 खरीदारों को पैसा वापस मिल चुका है. हालांकि उनकी पूरी रकम बाकी नहीं हो सकी है. उन्हें कटौती के बाद पैसा वापस दिया गया है. वहीं 59 खरीदारों के हाथ तो एक फूटी कौड़ी नहीं लगी है.

लेकिन टॉवर के ध्वस्तीकरण से खुश है लोग…

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प्रभजीत सिंह ने यह भी कहा कि, दिल्ली की जगह नोएडा में रहने की सोच के साथ फ्लैट लिया था. अब पैसा भी नहीं मिल रहा है. ट्विन टावर को गिराने की कार्रवाई से संतुष्ट हूं, लेकिन बिल्डर पर कार्रवाई होनी चाहिए, तभी यह नोएडा का इतिहास बनेगा.

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वहीं खरीदार अपूर्वा ने बताया कि, वर्ष 2009 में बुकिंग की थी. वर्ष 2011 में कब्जा देना था, लेकिन कब्जा नहीं मिला. तीन-चार साल बाद पता चला कि ट्विन टावर अवैध है. पूरा पैसा भी नहीं मिला. अब उम्मीद भी नहीं है, लेकिन ट्विन टावर को गिराना सही रहा.

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