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मिल्खा सिंह की रफ्तार देख उड़ गए थे पाकिस्तानी राष्ट्रपति के होश, दिया था ‘फ्लाइंग सिख’ का खिताब

पूरे देश की आंखें आज नम है. भारत के महान धावक मिल्खा सिंह ने शुक्रवार रात करीब 11:30 पर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. ‘फ़्लाइंग सिख’ के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर मिल्खा सिंह बीते एक माह से कोरोना वायरस से जूझ रहे थे. उनका चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. 91 साल की उम्र में वे हम सभी को छोड़कर चले गए थे.

milkha singh

साल 1929 में जन्मे मिल्खा सिंह अपनी तेज रफ़्तार के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे. उन्होंने कई मौकों पर देश का नाम रौशन किया था. उनके गुजर जाने से देश को अपूरणीय क्षति हुई है. पीएम मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, शाहरुख खान, फरहान अख़्तर, हरभजन सिंह जैसी कई बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.

Milkha Singh

कहा जाता है कि मिल्खा सिंह जब दौड़ते थे तो ऐसा लगता था मानो उनके पैरों में पंख लगे हुए हों. उनकी तेज रफ़्तार देखकर तो पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के भी होश उड़ गए थे और उन्होंने ही मिल्खा सिंह को फ़्लाइंग सिख (उड़न सिख) का खिताब दिया था.

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यह बात हर किसी को पता है कि मिल्खा सिंह को उनकी फर्राटेदार रफ़्तार के लिए ‘फ़्लाइंग सिख’ भी कहा जाता है लेकिन बहुत कम ही लोगों को यह जानकारी है कि यह खिताब दिवंगत मिल्खा सिंह को पाकिस्तान में मिला था. यह बात साल 1960 की है. मिल्खा को पाकिस्तान की ओर से लाहौर में दौड़ने का आमंत्रण मिला लेकिन भारत-पाक बंटवारे के बाद हुए दंगों से दुखी मिल्खा सिंह ने इसे अस्वीकार कर दिया.

जब मिल्खा ने पाकिस्तान से मिला आमंत्रण ठुकरा दिया तो भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मिल्खा को बुलाया और उनसे कहा कि पुरानी बातें भूलकर लाहौर जाओ. पंडित नेहरू की बात सुनकर मिल्खा ने पाकिस्तान जाने के लिए हामी भर दी. पाकिस्तान में मिल्खा का मुकाबला होना था ‘एशिया का तूफान’ नाम से मशहूर पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक से.

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मिल्खा सिंह को सरहद के रास्ते पाकिस्तान ले जाया गया. वे खुली जीप में सवार होकर लाहौर पहुंचे. मैच देखने के लिए स्टेडियम में भारी भीड़ जमा थी. रेस शुरू होने के ठीक पहले कुछ मौलवी पाकिस्तानी धावक खालिक के पास आए और कहा कि खुदा आपको ताकत दे. सभी मौलवी जाने लगे तो मिल्खा सिंह ने उनसे कहा, रुकिए! हम भी खुदा के बंदे हैं. तब मौलवी ने उन्हें भी कहा कि खुदा आपको भी ताकत दे.

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मिल्खा सिंह और खालिक के बीच हो रहे मुकाबले का आनंद तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान भी ले रहे थे. रेस शुरु हुई तो सभी की धड़कनें बढ़ गई. मिल्खा ने फर्राटेदार रफ़्तार से खालिक को मात दे दी और पाकिस्तान में इतिहास रच दिया. अयूब खान ने मिल्खा सिंह के गले में मेडल डालते हुए पंजाबी में कहा कि, ”मिल्खा सिंह जी, तुस्सी पाकिस्तान दे विच आके दौड़े नई, तुस्सी पाकिस्तान दे विच उड़े ओ, आज पाकिस्तान तुहानूं फ्लाइंग सिख दा खिताब देंदा ए.” इस तरह मिल्खा को नाम मिला ‘फ़्लाइंग सिख’.

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