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बार-बार मिली असफलता लेकिन हार नहीं मानी, चुनौतियों को पार करके ऐसे IPS अफसर बने आदित्य

संसार में हर मनुष्य के जीवन की कहानी अलग-अलग होती है। किसी की जिंदगी में सभी प्रकार की सुविधाएं होती है तो किसी का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहता है। हर इंसान अपने जीवन में कामयाबी पाना चाहता है, लेकिन ऐसे कुछ ही कम लोग होते हैं जिनको कामयाबी मिल पाती है। अक्सर देखा गया है कि जिन लोगों के पास सभी सुख-सुविधाएं होती हैं, वह अपने जीवन में कुछ खास आगे नहीं बढ़ते हैं क्योंकि ऐसे लोग अपने जीवन की चुनौतियों के आगे हार मान जाते हैं, परंतु साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले कई लोग ऐसे हैं जो जीवन की हर चुनौती को पार करते हुए कुछ ऐसा काम कर जाते हैं, जो सभी के लिए एक मिसाल बन जाते हैं। रोजाना ही कोई ना कोई समस्या हमारे सामने खड़ी हो जाती है। अगर हम इन समस्याओं से लड़ना नहीं सीखेंगे तो जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे। जीवन की चुनौतियां ही हमें गिरकर संभलना सिखाती हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसने असफलताओं को हराकर अपने जीवन में कामयाबी हासिल की है। आज हम आपको जिस शख्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं उनका नाम आईपीएस आदित्य है।

आईपीएस आदित्य राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के एक छोटे से गांव अजीतपुर के रहने वाले हैं। इन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई यहीं से पूरी की है, इसके आगे की पढ़ाई भदरा स्थित जिला मुख्यालय स्कूल से पूरी की। यह एक अध्यापक माता-पिता के पुत्र हैं। आदित्य के 12वीं में इतने अच्छे अंक नहीं थे, जिसकी वजह से यह काफी निराश भी हो गए। वर्ष 2009 में राजस्थान बोर्ड से दी गई परीक्षा में उन्हें मात्र 67% अंक मिले। अगर कोई इंजीनियरिंग या फिर सिविल सर्विसेज की तैयारी करता है तो पहले ही अंको में तो ले लिया जाता है। जिस प्रकार के अंक आदित्य के आए थे इतने में तो कोई भी तैयारी की सलाह नहीं देता, परंतु आदित्य का हौसला मजबूत था। भले ही इनके कम अंक आए थे परंतु इनकी इच्छा शक्ति मजबूत थी। आदित्य के परिवार के पास कोई खास जमीन-जायदाद नहीं थी। यह अच्छी तरह जानते थे कि यह पढ़ाई के माध्यम से ही आगे बढ़ सकते हैं। शुरुआती दिनों में आदित्य इंजीनियरिंग बनना चाहते थे, उन्होंने काफी कोशिश की परंतु कामयाबी नहीं मिल पाई।

हर पिता यही चाहता है कि जो वह नहीं कर पाया, वह उसका बेटा करके दिखाएं। आदित्य के पिता ने भी कभी सिविल सर्विसेज में जाने का सपना देखा था, जिसके लिए उन्होंने तैयारी भी की, परंतु इनको कामयाबी नहीं मिल पाई थी। पिता यही चाहते थे कि आदित्य उनका सपना पूरा करें। आदित्य के पिता ने उन्हें सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए हौसला बढ़ाया। पिता की बात से आदित्य काफी प्रेरित हुए थे और वह सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए।

वर्ष 2013 में सिविल सर्विसेज की तैयारी का सपना देखते हुए आदित्य राजस्थान से दिल्ली आ गए थे। अपना सपना पूरा करने के लिए इनको बहुत सी कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। इनके लिए अपना सपना पूरा करना इतना आसान नहीं था। आदित्य ने 5 वर्ष के दौरान 30 परीक्षाओं में असफलता का सामना किया। आदित्य ने AIEEE, राज्य प्रशासनिक सेवा, बैंकिंग और केंद्रीय विद्यालय संगठन समेत 30 प्रतियोगी परीक्षाएं दी थी परंतु किसी एक में भी इनको सफलता नहीं मिल पाई थी।

आदित्य ने राजस्थान सिविल सेवा के लिए प्रयास भी किया था। दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बाद इनको असफलता मिली थी। इन्होंने फिर भी हार नहीं मानी इनको अपने जीवन में कुछ बड़ा करना था इन्होंने अपनी मेहनत लगातार जारी रखी। सभी कठिनाइयों को भूलकर यह तैयारी में जुट गए। शुरुआती सालों में तैयारी के परिणाम भी आए परंतु इनको सफलता नहीं मिल पाई लेकिन इन्होंने अपना प्रयास जारी रखा। वर्ष 2014 में पहली बार आदित्य ने यूपीएससी की परीक्षा दी। यह परीक्षा इनके लिए इतना आसान नहीं था। आदित्य प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाए थे, इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और बढ़ा दी। इन्होंने अच्छे से अभ्यास किया। अगली बार यह पहले प्रीलिम्स और उसके बाद मेंस क्लियर कर पाए लेकिन इसके बावजूद भी इंटरव्यू में यह पास नहीं हो पाए थे।

आदित्य पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरे हुए थे। इनको यूपीएससी में तीन बार असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी यह हताश नहीं हुए। परिवार वालों का भी पूरा सपोर्ट था। इन्होंने और अधिक मेहनत की। पढ़ाई की। रूटीन को मजबूत किया। सामान्य ज्ञान पर विशेष ध्यान देना शुरू किया। सब चीजों को सुधार कर यह अभ्यास पर ध्यान देने लगे। वर्ष 2017 में उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी का आखिरी दांव खेला। इसके साथ ही उनको बड़ी जीत हासिल हुई। ऑल इंडिया 630वी रैंक के साथ आदित्य यूपीएससी क्लियर कर चुके थे। जब इन्होंने यूपीएससी क्लियर कर ली तब इन्होने आईपीएस को चुना।

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