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सरिता से मिलिए : 20 सालों से स्कूटी पर राजमा-चावल बेचती हैं और गरीबों को फ्री में देती हैं खाना

लॉकडाउन के दौरान लोगों को बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ा है। लोगों को कोई भी रोजगार ना मिलने की वजह से भूखे पेट सोना पड़ा। परंतु ऐसा नहीं है कि इन मजबूर और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए कोई भी सामने नहीं आया। संकट की इस घड़ी में ऐसे बहुत से लोगों ने अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंद लोगों की सहायता की है। ऐसे अनेक दानदाता हैं जो गरीबों की सहायता के लिए सामने आए हैं। वैसे देखा जाए तो इंसान कभी पैसों से अमीर या गरीब नहीं होता है। अमीरी और गरीबी हमेशा इंसान की सोच पर निर्भर करती है। किसी के पास बहुत पैसा होता है परंतु कई बार वह लोगों की मदद के लिए सामने नहीं आता है, परंतु कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती लेकिन फिर भी यह जरूरतमंद लोगों की सहायता लगातार करते रहते हैं। जब तक यह किसी की मदद नहीं कर देते, तब तक इनको चैन नहीं आता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई लोग ऐसे हैं जो अपनी कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा दूसरों की सहायता में लगा देते हैं। आज हम आपको दिल्ली की रहने वाली सरिता कश्यप के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं है फिर यह भूखे लोगों को फ्री में खाना खिलाती हैं।

20 सालों से स्कूटी पर बेचती हैं राजमा-चावल


आपको बता दें कि आईपीएस अवनीश सारन ने अपने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की है। इस फोटो को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है कि “ये हैं पश्चिम विहार दिल्ली की सरिता कश्यप। पिछले 20 सालों से यह अपनी स्कूटी पर राजमा चावल का स्टाल लगाती हैं। अगर आपके पास पैसे नहीं है तो भी आपको यह भूखा नहीं जाने देंगीं। खाली समय में बच्चों को पढ़ाती भी हैं।”

भूखों को खाना खिलाने से मिलती है खुशी

सरिता कश्यप जी ने बताया कि जिन लोगों के पास पैसे नहीं होते हैं, उनको यह मुफ्त में राजमा-चावल खिला देती हैं। वह कहती हैं कि खा लो, पैसे जब कभी भी हो, तो दे देना। इनका कहना है कि कमाई तो होती रहेगी लेकिन लोगों को खाना खिलाने की जो खुशी मिलती है, वह कहीं भी नहीं मिल सकती।

जानिए पहले क्या करती थीं सरिता कश्यप

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि पश्चिम विहार दिल्ली की रहने वालीं सरिता कश्यप पहले एक ऑटोमोबाइल कंपनी में नौकरी किया करती थीं। यह सिंगल मदर हैं। बीते कुछ वर्षों से इन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद इन्होंने स्कूटी पर राजमा-चावल बेचने का बिजनेस शुरू किया। इनकी एक बेटी है, जो कॉलेज में पढ़ती है। घर का सारा भार सरिता जी के ऊपर ही है। घर के अंदर यही एक अकेली कमाने वाली हैं।

ऐसे हुई थी बिजनेस की शुरुआत

सरिता जी का कहना है कि एक दिन वह अपनी स्कूटी पर राजमा-चावल बना कर पीरागढ़ी में बेचने चली गई थीं। उनके मन में यह ख्याल आया कि अगर कोई खरीदेगा तो ठीक है, वरना वह वापस घर आ जायेंगीं, लेकिन इनके राजमा-चावल का बिजनेस पहले ही दिन बहुत अच्छा चला। लोगों ने इनके राजमा-चावल खूब खाएं और पैसे भी दिए। इतना ही नहीं लोग सरिता जी के राजमा-चावल पैक करा कर अपने साथ भी ले गए। तब से ही यह रोजाना पीरागढ़ी में मेट्रो स्टेशन के पास पेड़ के नीचे स्कूटी पर राजमा-चावल बेचने लगी थीं। अब इनके घर का खर्च ठीक से चल रहा है। यह अपनी कमाई से गरीब बच्चों के लिए स्कूल की ड्रेस, किताबें और जूते भी खरीदती हैं।

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