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कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद ऐसी हो गई थी पुतिन की बेटी की हालत, जानें क्यों उठ रहें सवाल

रुस ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना वैक्सीन बना ली है लेकिन उनके वैक्सीन पर अभी भी आशंका जताई जा रही है

दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी से परेशान है और सबकी आंखे इस वक्त सिर्फ वैक्सीन पर टिकी हैं। ऐसे में 11 अगस्त को मंगलवार के दिन रुस के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर इस बात का दावा किया है कि उनके देश ने कोरोना की दवा बना ली है। अब इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर खुशी की लहर दौड़ गईं। लोगों के बीच उम्मीद की किरण छा गई कि अब कोरोना जल्द ही खत्म हो जाएगा। बता दें कि कोरोना से एक दो देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया प्रभावित है ऐसे में दुनिया के कई देश जल्द से जल्द इसकी दवा बनाने में जुट गए हैं।

वैक्सीन के बाद बेटी को आया तेज बुखार

गौरतलब है कि कई देशों के राष्ट्रपति ने ये दावा किया है कि उन्होंने कोरोना की वैक्सीन बना ली है। इसमें रुस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों का कहना है कि उन्होंने वैक्सीन बना ली है। रुस ने इस वैक्सीन का नाम ‘स्पूतनिक v’ दिया है। अब रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सरकार के सदस्यों को वैक्सीन के बारे में जानकारी देते समय ही ये बताया कि उनकी एक बेटी को पहले ही वैक्सीनेट किया जा चुका है। हालांकि उन्होंने बताया कि वैक्सीन देने के बाद उनकी बेटी को तेज बुखार आया था।

बता दें कि राष्ट्रपति पुतिन की पहली शादी से दो बेटियां हैं 35 साल की मारिया और 34 साल की कैटरीना। मंगलवार को राष्ट्रपति पुतिन ने इस बात की जानकारी दी कि जब उनकी बेटी को वैक्सीन दी गई तो पहले दिन उसे 100.4 डिग्री बुखार आ गया था। बाद में ये गिरकर 98.6 डिग्री पर पहुंच गया। जब उसे वैक्सीन का दूसरा शॉट दिया गया तो तापमान भी बढ़ा लेकिन फिर सामान्य हो गया। पुतिन ने आगे कहा कि, ‘फिलहाल वो ठीक है और अब उसके पास एंटीबॉडीज हैं’। पुतिन ने कहा कि,’ अगर मैं ये कहूं कि मेरी बेटी प्रयोग का हिस्सा है तो ये गलत नहीं होगा’।

वैक्सीन के दावे पर उठ रहे सवाल

गौरतलब है कि पुतिन ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उनकी किस बेटी को वैक्सीन दी गई है। हालांकि उनकी बड़ी बेटी मारिया एक मेडिकल रिसर्चर के तौर पर काम करती हैं। उन्होंने ड्वॉर्फिज्म यानी बौनेपन में विशेषज्ञता हासिल की है। बता दें कि रुस के राष्ट्रपति ने वैक्सीन के तैयार हो जाने की बात कही है लेकिन दुनिया अभी भी इस वैक्सीन पर आशंका जता रही है। बता दें कि रुस के अधिकारियों ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि ये वैक्सीन इसलिए इतनी जल्दी तैयार कर ली गई है क्योंकि ये पांच साल पहले इबोला वायरस के लिए तैयार की गई वैक्सीन की नकल है। हालांकि इस बात पर चिंता जताई जा रही है कि क्या इसके लिए सही दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है।

गेमेलिया नेशनल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर एलेक्जेंडर जिंट्सबर्ग ने बताया है कि इस वैक्सीन ने किसी भी व्यक्ति के शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। एलेक्जेंडर के मुताबिक कोविड-19 के कण सबसे ज्यादा असहजता की वजह बन सकते हैं क्योंकि जब कोई बाहर एंटीजेंट इंजेक्ट किया जाता है तो वैक्सीन हासिल करने वाले व्यक्ति का इम्यून सिस्टम और शक्तिशाली होता है। कुछ लोगों को इस दौरान प्राकृतिक तौर पर बुखार रह सकता है। क्लीनिकल ट्रायल के दौरान वॉलेंटियर्स का तापमान 37 डिग्री से 38 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। एलेक्जेंडर का कहना है कि इस तरह के प्रभाव को पैरासिटामॉल से ठीक किया जा सकता है। बता दें कि रुस का कहना है कि उसकी योजना 30 मिलियन डोज तैयार करने की है। इस साल के अंत तक 30 मिलियन खुराक तैयार कर ली जाएगी।

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