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कोरोना काल में दूल्हा नहीं चढ़ पाएगा घोड़ी, बुजुर्गों के आशीर्वाद से रहना होगा वंचित, जानिए कारण

देशभर में कोरोना वायरस जैसी महामारी इस कदर फैलती जा रही है जिसकी वजह से लोगों को बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है, कोरोना जैसी महामारी की वजह से ना सिर्फ लोग अपने घरों से दूर रहने के लिए मजबूर हो गए हैं बल्कि लोगों का कामकाज भी बिल्कुल रुक गया है, कोरोना अवधि के दौरान शादी जैसे कार्यों पर भी प्रभाव पड़ा है, कुछ लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस महामारी के दौरान शादी करने में सफल हो रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में पड़ने वाली शादियों के लिए नए दिशानिर्देश लागू कर दिए गए हैं, जिसके अनुसार ना तो शादियों में दूल्हा घोड़ी चढ़ सकेगा और ना ही घर के बूढ़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद ले पाएगा।

मां बाप अपने बच्चों के लिए अपने मन में बहुत से अरमान संजोय रखते हैं, विशेष रूप से शादी को लेकर मां-बाप के अरमान कुछ अलग ही होते हैं, हर मां बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चों की शादी धूमधाम के साथ करें और सभी के आशीर्वाद से उसका विवाह संपन्न हो, लेकिन कोरोना महामारी की मुसीबत ने ना सिर्फ अपने लोगों से दूर कर दिया है, बल्कि मां-बाप के सारे अरमानों पर पानी फिर गया है, दरअसल, शादी विवाह जैसे आयोजन के लिए प्रशासन की तरफ से कुछ नए नियम बनाए गए हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से यह बताया गया है कि कार्यक्रम के समय हाथी-घोड़ा समेत सभी तरह के बड़े जानवर ले जाने की पूरी तरह से मनाही है, शादी विवाह जैसे कार्यक्रम के लिए प्रशासन की तरफ से सशर्त अनुमति दी जा रही है यानी कि अगर किसी की शादी कोरोना काल में पड़ रही है तो दूल्हा ना तो घोड़ी चढ़ पाएगा और ना ही घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद ले पाएगा।

यह लोग शादी कार्यक्रम में नहीं हो पाएंगे शामिल

प्रशासन द्वारा शादियों के लिए बनाए गए नए नियम के अनुसार 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग और 10 वर्ष से कम के छोटे बच्चे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे, यदि घर परिवार में कोई महिला गर्भवती है तो ऐसी स्थिति में वह अपने किसी भी सगे संबंधी की गवाह नहीं बन पाएगी, रात 9:00 बजे के बाद बारात ले जाने पर पाबंदी है और सुबह 5:00 बजे से पहले विदाई नहीं हो पाएगी।

शादी समारोह के लिए प्रशासन की अनुमति है जरूरी

कोरोना संक्रमण काल में कई शादियां पूरी हो रही है परंतु ज्यादातर लोगों के मन में यही भ्रम है कि घर में अगर शादी, तिलक जैसे मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाए तो इसके लिए किसी की भी अनुमति नहीं लेनी होगी, परंतु यह बिल्कुल गलत है, अगर घर में आप शादी तिलक या मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं तो आपको अपने जिला प्रशासन से इसकी अनुमति लेनी बहुत ही जरूरी है, केवल मैरिज हॉल, होटल या लॉज के लिए ही नहीं अब घर से यह सभी कार्य करने के लिए भी अनुमति जरूरी है।

आप इस प्रक्रिया से ले सकते हैं अनुमति

यदि आपके घर-परिवार में कोई मांगलिक कार्यक्रम या विवाह जैसा कोई शुभ कार्य का आयोजन हो रहा है तो इसके लिए आपको अनुमति लेनी पड़ेगी, आपको शहरी क्षेत्र के लिए एडीएम सिटी कार्यालय पर आवेदन करना होगा, आपको वहां से एक विशेष प्रोफार्मा दिया जाएगा, जिसको आपको भरना होगा, जब आप इसको भर ले तो आप इसको जमा करा दीजिए, इस प्रोफार्मा पर संबंधित थाना, सीओ कार्यालय और एसपी सिटी की रिपोर्ट लग जाने के पश्चात एडीएम सिटी अनुमति जारी करेंगे, उसके बाद आप अपने घर में मांगलिक कार्यक्रम कर सकते हैं।

बड़े अधिकारियों का ऐसा कहना है कि यदि किसी भी कार्यक्रम में 5 से अधिक लोग एकत्रित हो रहे हैं तो इसके लिए अनुमति लेना आवश्यक है, शादी-तिलक आदि मांगलिक जैसे कार्यक्रमों में वर-वधू दोनों पक्षों को मिलाकर कुल लोगों की संख्या 30 से ज्यादा ना हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखना होगा, बहुत से वर-वधु ऐसे हैं जो संकट की इस घड़ी में काफी समझदारी से काम ले रहे हैं वह अपने सगे संबंधियों का आशीर्वाद फोन पर मांग रहे हैं, लोग भी फोन पर ही बधाई और आशीर्वाद दे रहे हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है।

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