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कोरोना के चलते नहीं होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, ऐसा किया तो भगवान माफ नहीं करेंगे- सुप्रीम कोर्ट

285 साल में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब जग्गनाथ यात्रा पर रोक लगाई गई है

कोरोना महामारी से इस वक्त पूरा देश पीड़ित हैं और 3 लाख से अधिक लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं। महामारी के चलते बहुत से काम पहले ही रोक दिए गए थे और अब भक्तों को भी निराशा झेलनी पड़ रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून को पुरी( ओडिशा) के जगन्नाथ मंदिर में होने वाली वार्षिक रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हमने इस साल रथ यात्रा की अनुमति दे दी तो भगवान जगन्नाथ भी हमें माफ नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं निकलेगी रथ यात्रा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब महामारी फैली हो तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें भारी संख्या में लोग इकट्ठा हों। लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए इस साल यात्रा को अनुमति नहीं मिलेगी। चीफ जस्टिस की बेंच ने ओडिशा सरकार से कहा है कि इस साल राज्य में रथयात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों को अनुमति ना दी जाए।


कोरोना महामारी के मद्देनजर 23 जून को ओडिशा में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा को स्थगित करने के लिए याचिका पेश की गई थी। CJI SA  BOBDE की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रथ यात्रा की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस वर्ष रथ यात्रा पर रोक लगा रहे हैं क्योंकि नागरिकों की सुरक्षा पहले आती है।

285 सालों से नहीं रुकी थी रथ यात्रा

गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना फैला हुआ, लेकिन संभावना थी कि जग्गनाथ यात्रा नहीं रोकी जाएगी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन अटकलों पर भी विराम लग गया है। हालांकि दो महीने से पुरी में रथयात्रा को लेकर तैयारियां चल रहीं थीं। इस फैसले से लोगों को धक्का है।गौरतलब है कि 285 साल में ये दूसरा मौका है जब रथ यात्रा रोकी गई है।

पिछली बार जग्गनाथ यात्रा मुगलों के दौर में रोकी गई थी। वहीं इस साल मार्च के महीने से ही कोरोना ने देश में पैर पसारने शुरु कर दिए। इसके बाद से मामला ना थमता देख असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि ये यात्रा कैसे होगी। इसी बीच भुवनेश्वर के एक एनजीओ ओडिशा विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर दी। इसमें कहा गया कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। साथ ही ये भी कि अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट में दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगाया जा सकता है तो फिर रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?

जोर-शोर से हो रहीं थी यात्रा की तैयारियां

दूसरी तरफ श्री जग्गनाथ मंदिर प्रबंधन समिती के अध्यक्ष और पुरी के गजपति महराज दिव्यसिंह देब का कहना है कि महाप्रभु जग्गनाथजी के इस फैसले से दुनियाभर में मौजूद भक्त काफी दुखी हैं, लेकिन ये फैसला मानना जरुरी है। मंदिर प्रबंधन समिती कल इस मसले पर मीटिंग करेगी। इसके बाद समिति सदस्य पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से भी इस बारे में चर्चा करेंगे।

गौरतलब है कि मंदिर समिति ने पहले रथयात्रा को बिना श्रद्धालुओं के निकालने का फैसला किया था। रथ बनाने का काम भी तेजी के साथ किया जा रहा था। मंदिर समिति ने लोगों के बजाय इस बार रथ खींचने के लिए कई विकल्पों को रखा था जिसमें पुलिसकर्मी, मशीन या हाथियों से रथ को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने पर विचार किया जा रहा था।

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