राजनीति

डेथ सर्टिफिकेट पर ना किया जाए कोरोना का जिक्र – पश्चिम बंगाल के अधिकारी का नोट हुआ वायरल

कोरोना पॉजिटिव केस के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना का कोई जिक्र नहीं करना है - पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में मुर्शीदाबाद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट और वाइस प्रिंसिपल देबदास साहा का सोशल मीडिया पर एक गोपनीय नोट वायरल हो गया। इस नोट के वायरल होने पर गुरुवार को उनका ट्रांसफर कर दिया गया।   एएमसीएच के डॉक्टरों के लिए डॉक्टरों के लिए ड्यूटी रोस्टर दिया गया था जिस पर साहा के सिगनेचर थे। इसके सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।

डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना का जिक्र नहीं

बता दें कि 25 अप्रैल को 27 अप्रैल से 17 मई तक की तीन शिफ्ट ड्यूटी रोस्टर में मृत्यु प्रमाण पत्र लिखने पर डॉक्टरों को एक सलाह दी गई थी। साहा ने कहा था कि मौत का कारण कोई सामान्य बीमारी बताना होगा। कोरोना पॉजिटिव केस के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना का कोई जिक्र नहीं करना है। इस गोपनीय नोट के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राज्य सरकार ने साहा को नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर पद पर स्थानांतरित कर दिया गया।

गौरतलब है कि 5 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में कोरोना से मरने वालों की संख्या में अचानक इजाफा हो गया। इसके बाद से सरकार ने जल्दी से मरने वालों के मेडिकल इतिहास का ऑडिट करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। सिर्फ ये ही नहीं राज्य प्रशासन ने ये भी कहा कि कोरोना पीड़ितों का इलाज करने वाले अस्पताल के डॉक्टर तब तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं करेंगे जब तक विशेषज्ञ समिती इसकी पुष्टि ना कर दें।

क्या आंकड़े छिपा रही बंगाल सरकार

इसके बाद सोशल मीडिया में ये खबर सामने आई कि मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 27 अप्रैल से 17 मई तक डॉक्टरो के लिए ड्यूटी रोस्टर में मृत्यु प्रमाण पत्र लिखने की सलाह दी गई थी। इसमें कहा गया था कि डेथ सर्टिफिकेट में कहीं भी कोरोना का उल्लेख नहीं होगा। इस नोट के सोशल मीडिया पर वायरल होने पर काफी हंगामा हो गया और विपक्ष का ध्यान भी इस मामले पर चला गया। ममता बनर्जी की सरकार ने इस मामले पर कहा कि ये एक छोटी सी गलती  थी जिसे अब सही हो चुकी है।

इस घटना के बाद से लोगों के मन में ये सवाल आने लगा है कि सरकार कोरोना के मामले छिपा रही है। सरकार ये साबित करना चाहती है कि दिल्ली, मुंबई और यूपी के मुकाबले पश्चिम बंगाल में कोरोना पीड़ितों की संख्या कम हैं और यहां बेहतर इलाज हो रहा है। बता दें कि कोरोना महामारी फैलने के बाद से ममता सरकार कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही है। राज्य सरकार की केंद्र सरकार से लॉकडाउन को सही ढंग से लागू ना करने के मुद्दे पर भी बहस हो चुकी है।

लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामले

हाल ही में दो इंटर- मिनिस्ट्रियल केंद्रीय टीम भी बंगाल में बिना किसी सूचना के पहुंची थी। ये टीम कोलकाता और सिलिगुड़ी में इस बात की जांच करने के लिए आईं की वहां पर लॉकडाउन का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं। इसके बाद से गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से कोरोना मरीजों के मेडिकल फाइल मांगी और वहां कोरोना पीड़ितों की संख्या 105 दर्ज की गई।

पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और ये बात किसी से छिपी नही है। चीफ सेक्रेटरी के अनुसार पिछले 24 घंटे में 58 नए मामले सामने आए है। इनमें से 80 प्रतिशत मामले कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और हुगली के हैं। इन सभी चार जिलों की पहचान कर इन्हें रेड जोन में रखा गया है। हालांकि परीक्षण के मामले में पश्चिम बंगाल कई राज्यों से पीछे है।

ममता और केंद्र सरकार के बीच जंग जारी

आधिकारिक आकंड़ों की बात करें तो प्रति मिलियन राष्ट्रीय परीक्षण 483 है। पश्चिम बंगाल में 12 अप्रैल को ये संख्या 25 थी और 25 अप्रैल को ये बढ़कर 100 हो गई थी। 1 अप्रेल तक पश्चिम बंगाल में 659 परीक्षण हुए हैं जिसमें 37 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। 30 अप्रैल तक कुल परीक्षण संख्या 16, 525 हो गई है और अभी तक 572 एक्टिव केस हैं। हालांकि डॉक्टर कुनाल सरकार का मानना है कि लोगों में कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की जांच के लिए राज्य को अधिक व्यापक जांच करना चाहिए।

एमएचए और केंद्रीय टीम में ये तनातानी चल ही रही थी कि बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़े और ममता बनर्जी लेटर के जरिए एक दूसरे पर निशाना साधने लगे। ममता बनर्जी ने लेटर में लिखते हुए राज्यपाल से कहा कि उन्हें केवल भारत के राष्ट्रपति ने नॉमिनेट किया है जबकि बंगाल की जनता ने उन्हें( ममता) मुख्यमंत्री बनाया है।सिर्फ इतना ही नहीं इस लेटर के जवाब में राज्यपाल धनखड़ ने उन्हें ये याद दिलाया कि ममता मुख्यमंत्री है और राज्य के मुख्य कार्यकारी के रुप में उन्हें संविधान के अनुसार कार्य करना पड़ता है जबति राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। पश्चिम बंगाल में ये जुबानी जंग दोनों के बीच जारी है।वहीं पश्चिम बंगाल में संक्रमितों का आंकड़ा 461 के पार हो चुका है। वहीं 105 लोगों के मरने की खबर सामने आई है।

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