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हिमा दास ने दिया इंटरव्यू, कहा- सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बाकी के खेलों को भी उतना ही सम्मान दें

19 साल की हिमा दास ने 19 दिन में पांच गोल्ड मैडल जीते हैं. वहीं, 23 साल की दुती चंद वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड जीतकर आई हैं. ये दोनों फर्राटा धावक हैं. लेकिन भारत के लिए इतने गोल्ड मेडल जीतने पर जहां कोई भी लड़की गर्व महसूस करेगी वहीं इन दोनों लड़कियों को अपनी उपलब्धियों पर दुख है. शायद ये कहना सही होगा कि ये लड़कियां अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों को कम तवज्जो मिलने से काफी दुखी हैं. दुती ओडिशा की रहने वाली हैं. उन्होंने बताया कि, “11 सेकंड दौड़ने के लिए सालों एड़ियां घिसी हैं. धावक रोज सुबह 4 बजे उठकर 8-8 घंटे प्रैक्टिस करता है. ऐसे में अगर देश उसकी उपलब्धियों को नजरअंदाज कर दे, तो उसे कैसा लगेगा. आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं. प्लीज हमें भी क्रिकेटर्स जितना प्यार दें”. बता दें, हिमा दास ने शनिवार को अपना पांचवां गोल्ड मेडल जीता. इस मौके पर हिमा और दुती से कुछ सवाल-जवाब हुए जिसे हम आपके लिए लेकर आये हैं.

सवाल 1: आपने लगातार 5 गोल्ड जीते. अपने प्रदर्शन को कैसे देखती हैं?

हिमा: मैं इसे प्रतियोगिता नहीं बल्कि प्रैक्टिस मान रही हूं. मेरी बस यही कोशिश रही है कि मैं अपना बेस्ट दे सकूं और वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर सकूं. हालांकि, इस बारे में मैं अभी कुछ कहना नहीं चाहती.

सवाल 2: ऐसा क्यों कह रही हैं कि आपकी सफलता को जितना सम्मान मिलना चाहिए, उतना अभी नहीं मिल रहा है?

हिमा: मैं लोगों के प्यार और सम्मान की वजह से ही यहां तक पहुंच पाई हूं. हां, क्रिकेट भी एक खेल है. मीडिया की देन की वजह से क्रिकेट को पूरे भारत से प्यार और सम्मान मिलता है. ऐसे में मीडिया की यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वह हिमा दास ने दिया इंटरव्यू, कहा-  मिडिया से कहा की सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बाकी के खेलों को भी उतना ही सम्मान दें लोगों को एथलेटिक्स की प्रतियोगिताओं के बारे में जितनी जानकारी होगी, उतना ही इससे प्यार करेंगे.

सवाल 3: यह आपका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. लगातार गोल्ड मेडल जीतने के लिए क्या स्ट्रेटेजी अपना रही हैं?

हिमा: जिस दिन इवेंट नहीं होता उस दिन मैं अपने शेड्यूल के मुताबिक उठकर अभ्यास करती हूं. शाम को 2-3 घंटे मैदान पर पसीना बहाती हूं. हालांकि, अभी लगातार इवेंट की वजह से एक देश से दूसरे देश ज्यादा ट्रेवलिंग करनी पड़ रही है. बीच-बीच में मौका मिलने पर फैमिली से बात करती हूं. असम में बाढ़ से मेरे पेरेंट्स को परेशानी हो रही है. लेकिन जब भी फोन पर उनसे बात होती है तो वह घर की चिंता छोड़कर खेल पर फोकस करने के लिए कहते हैं.

सवाल 4: जब आप गोल्ड जीत रही थीं, तब आपका घर बाढ़ से डूब रहा था. गेम पर फोकस कैसे किया?

हिमा: मैंने बस शेड्यूल फॉलो किया. साथ ही ट्विटर पर लोगों से अपील की कि वह बाढ़ पीड़ितों की मदद करें. बाढ़ से जनजीवन नष्ट हो गया है. मैं बड़े खिलाड़ियों से भी मदद करने की अपील कर रही हूं.

सवाल 5: आपने क्रिकेट वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल वाले दिन गोल्ड मेडल जीता. इस सफलता को आप कैसे देखती हैं?

दुती: 11.32 सेकंड में 100 मीटर रेस जीतने जैसी ऐतिहासिक सफलता क्रिकेट वर्ल्ड कप के बीच दब गयी. जबकि, मैं भारत की एकलौती ऐसी लड़की हूं जिसने इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है. ज्यादा पैसों के चलते ज्यादातर मीडिया क्रिकेट की उपलब्धियों को ही तवज्जो देते हैं. क्रिकेट तो 8-10 देश ही खेलते हैं. लेकिन, एथलेटिक्स में 200 देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं. यह जीत ज्यादा बड़ी है.

सवाल 6: ओलिंपिक के बाद दूसरे सबसे बड़े टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा?

दुती: बीपीएल परिवार से आने की वजह से हमारे पास खाने को नहीं होता था. दौड़ते वक्त पैर में जूते नहीं होते थे. नंगे पैर दौड़ते-दौड़ते छालों से दोस्ती हो गयी. जो मिलता था बस खा लिया करती थी. ओडिशा सरकार से जूते तक के लिए मिन्नतें करनी पड़ती थी. लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी और मेहनत करना नहीं छोड़ा. इस मेहनत की वजह से ही इटली में गोल्ड मेडल जीत सकी हूं.

सवाल 7: टूर्नामेंट से पहले आपके समलैंगिक रिश्ते को तूल दिया गया. इस दबाव को कैसे झेला?

दुती: वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स से पहले इस रिश्ते को इतना तूल मुझे डिस्टर्ब करने के लिए दिया गया. फैमिली भी नाराज थी. इस दौरान में कोच के संपर्क में रही. सिर्फ अभ्यास पर ध्यान लगाने के लिए योग किया. इससे मुझे फायदा पहुंचा.

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