दिलचस्प

क्या आप जानते हो किस देश में हुआ था शैंपू का आविष्कार ?

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: खुद को खूबसूरत दिखाना हर कोई चाहता है और आपकी खूबसूरती का एक अहम हिस्सा होते हैं आपके बाल, बालों को स्वस्थ रखने के लिए आप जाने क्या नहीं करते अलग-अलग तरह के शैंपू और केमिकल ट्रीटमेंट्स का  सहारा लेते हैं। लेकिन कभी आपने ये सोचा है कि आप अपने बालों पर जो शैंपू लगाते हैं उसका आविष्कार कहा, कब और कैसे हुआ था? नहीं सोचा ना लेकिन अब आपके दिमाग में ये कीड़ा दौड़ रहा  होगा कि आखिर शैंपू की उत्पत्ति हुई कैसे थी। आखिर वो कौन इंसान होगा जिसके दिमाग में शैंपू बनाने का ख्याल आया होगा। नहीं मिल रहा ना जवाब तो चलिए हम आपको बताते हैं।

शैम्पू शब्द सुनकर लगता है कि यह कोई विदेशी शब्द है लेकिन ये बिल्कुल गलत है। आपको बता दें की शैंपू एक हिंदी शब्द है जो संस्कृत के एक शब्द से निकला है। दरअसल शैम्पू शब्द, ‘चम्पू’ से बना है। चम्पू का मतलब होता है ‘हूट’ यानी की मसाज करना और यह संस्कृत से निकला शब्द है।

पुराने समय की बात करें तो इंडिया में पहले सभी तरह के सौंदर्य प्रसाधन हर्बल तरीके से ही बनाए जाते थे, उस समय में बालों को अच्छा और स्वस्थ रखने के लिए फलों के गूदे जैसे रीठा आंवला इन सबका इस्तेमाल किया जाता है, और उन्ही सबसे उत्पत्ति हुई शैंपू की।

बता दें कि ज्यादातर सौंदर्य प्रसाधनों की खोज मिस्त्र वालों ने की थी लेकिन शैंपू के बारे में सबसे पहले दुनिया वालों को भारत नें ही बताया था। दरअसल जब ब्रिटिश भारत आए थे तब उनकी नजर भारत में यूज किए जाने वाले शैंपू यानी की रीठा-आंवला और फलों की गूदी पर पड़ी थी और जब उन्होंने इसको यूज किया तो यह बालों के लिए काफी फायदेमंद लगा। लिहाजा वो इसे अपने देश लेकर चले गए। और वहां पर शैंपू शब्द के साथ इसे बाजारों में उतारा। (और पढ़ें – रीठा के फायदे)

बता दें कि आज के समय में नार्मली हर कोई शैंपू करता है लेकिन पुराने समय इसका  इस्तेमाल सिर्फ राजा महाराजा और रईस लोग ही किया करते थे, और इसको करना एक रहीसी शौक माना जाता था। तो आप भी अब शैंपू करते वक्त खुद को रहीस और किसी राजा-महाराजा जैसा फील करा सकते हैं।

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