अध्यात्म

जीवन के सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है, श्रीराम का ये आसान और चमत्कारी मंत्र

जीवन में कई बार हमारे सामने ऐसी परिस्थितियां बनती है जहां हम खुद को असहाय सा पाते हैं.. समझ नही आता कि क्या किया जाए, कैसे इन समस्याओं से निजात पाई जाए। लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि जीवन के हर समस्या का कोई ना कोई समाधान भी जरूर होता है बस आवश्यकता होती है तो उसके पहचान कि और आज हम आपके लिए ऐसा ही सरल और प्रभावी समाधान लेकर आए हैं। आज हम आपको भगवान राम के ऐसे मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके जाप से सभी कष्टों से आसानी से मुक्ति मिल सकती है। तो आएइ जानते हैं इस चमत्कारी मंत्र के बारे में ..

वैसे तो शास्त्रों में कष्टों से मुक्ति पाने के कई सारे उपाय और मंत्रों के जाप के बारे में बताया गया है पर अक्सर होता ये है कि  व्यस्त जीवनशैली के कारण लोग इनका सही ढ़ंग से पालन और जाप नही कर पाते .. अगर आपके साथ भी कुछ ऐसी दिक्कत पेश आ रही है और आप चाहकर भी शास्त्रों में बताए उपायो को नही अपना पा रहे हैं तो ऐसे में श्रीराम का यह आसान सा महामंत्र आपके लिए बेहद लाभकारी है। दरअसल सनातन धर्म में राम नाम की बेहद महत्ता है.. मान्यता है कि इसके स्मरण मात्र से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और आज हम जिस श्रीराम के मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं वो शक्तिशाली होने के साथ बेहद आसान भी है।

श्री राम जय राम जय जय राम” ये मंत्र वैसे तो आपने ना जाने कितनी बार सुना होगा पर शायद ही आपको इसकी शक्ति का पता हो। असल में श्रीराम के इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि आपकी बड़ी से बड़ी दुविधा और समस्या का तत्कालिक निवारण हो जाता है और इससे भी बड़ी बात ये है कि इसके जाप के लिए आपको किसी नियम या विधि के पालन करने की आवश्यकता नही पड़ती बल्कि आप अपने दैनिक कार्यों को करते हुए भी इस मंत्र का स्मरण कर सकते है और ये आपके लिए उतना ही प्रभावी रहेगा।

सुनने में आपको श्रीराम का ये मंत्र बेहद सामान्य लग सकता है पर वास्तव में ये बेहद खास है । दरअसल इसमें ‘श्री’, ‘राम’ और ‘जय’ तीन शब्दों की एक विशेष क्रम में आवृति हो रही है। यहां ‘श्री’ का अर्थ मां लक्ष्मी स्वरूपा ‘सीता’ या शक्ति से है, जबकि राम शब्द में ‘रा’ का अभिप्राय ‘अग्नि’ से है और ‘अग्नि’  संपूर्ण दुष्कर्मों का नाश करती है। वहीं ‘म’ यहां ‘जल तत्व’ का प्रतीक है। चूंकि जल को जीवन माना जाता है, ऐसे में ‘म’ से तात्पर्य जीवत्मा से है। यानि इस मंत्र का पूरा अभिप्राय उस शक्ति से है जो संपूर्ण दुष्कर्मों का अन्त करते हुए जीवन का वरण करती हो या आत्मा पर विजय प्राप्त करती हो।

इस तरह जो भी इस मंत्र का प्रतिदिन स्मरण करता है उसे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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