राशिफल

18 नवम्बर,शनि अमावस्या को बन रहा है दुर्लभ संयोग,इन राशियों पर होगा साढ़ेसाती और ढय्या का प्रभाव

शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के नाम से हर कोई डरता है और डर लगे भी क्यों ना, इस काल में आने वाले सभी जातक भारी नुकसान का सामना करते हैं। तमाम कोशिशों के बाद कार्य पूर्ण नहीं होते, पल-पल असफलता का मुख देखना पड़ता है, अचानक किसी दुर्घटना का भी शिकार हो जाते हैं लोग। वर्तमान समय में 3 राशि पर है साढ़ेसाती और 2 पर ढय्या चल रही है ऐसे में इन जातकों के लिए वर्तमान समय बेहद कष्टकारी है लेकिन इनके लिए एक बेहद शुभ समाचार लेकर हम आए हैं । दरअसल इस बार 18 नवंबर को शनि अमावस्या का योग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन 30 साल बाद विशाला नक्षत्र में शोभन नाम का योग भी बनेगा और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ये बहुत ही शुभ संयोग है। जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती व ढय्या चल रही है, वे यदि इस दिन अपनी राशि के अनुसार उपाय करें तो उन्हें थोड़ी राहत मिल सकती है।असल में शनि अमावस्या का शुभ संयोग बहुत कम अवसर पर बनता है। भविष्य पुराण के अनुसार शनि देव को शनि अमावस्या बहुत प्रिय है। शनि अमावस्या का दिन संकटों से समाधान के लिए बहुत शुभ माना गया है।

शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या किन परिस्थितियों में आरंभ होती है

“शनि साढ़े साती” या “शनि की ढैय्या” की गणना चंद्र राशि के अनुसार अर्थात जन्म के समय जिस राशि में चंद्रमा होता है, उसके अनुसार होती है। जन्म कालिक चंद्र राशि से गोचर भ्रमण के दौरान शनि जब द्वादश भाव में आता है, तो “साढ़े साती” का प्रारंभ हो जाता है।

चंद्र राशि तथा चन्द्र राशि से दूसरे भाव में जबतक रहता है तब साढ़े साती बनी रहती है और जब तीसरी राशि में प्रवेश करता है तो साढ़े साती समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार जब गोचर का शनि चंद्र राशि से चौथी तथा आठवी राशि में आता है तब “शनि की ढैय्या” प्रारंभ होती है।

वर्तमान समय में इन राशियों पर है साढ़ेसाती व ढय्या

वर्तमान में शनि धनु राशि में मार्गी है। इस समय वृश्चिक, धनु व मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है, वहीं वृषभ व कन्या राशि पर ढय्या चल रही है।

वृषभ राशि के लिए ये है उपाय

1.शनिश्चरी अमावस्या के योग में काले घोड़े की नाल या समुद्री नाव की कील से लोहे की अंगूठी बनवाएं। उस पर शनि मंत्र के 23000 जाप करें अपनी अंगूठी मध्यमा (शनि की अंगुली) में ही पहनें।

  1. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं।

मंत्र- ऊँ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

जाने कन्या राशि के उपाय

  1. शनिश्चरी अमावस्या पर काले कुत्तों को लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है।
  2. शुक्रवार की रात काले चने पानी में भिगो दे। शनिवार को ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें। इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
  3. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं। ये है शनि का तंत्रोक्त मंत्र-

मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं स: श्नैश्चराय नम:

वृश्चिक राशि के जातक करें ये उपाय

  1. इस शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा।
    शनिश्चरी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
    वैदिक मंत्र-
    ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।

धनु राशि अपनाए ये उपाय

  1. शनिश्चरी अमावस्या के योग में सवा पांच रत्ती का नीलम या उपरत्न(नीली) सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।

2.शनिवार को किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनि दोष की शांति के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करें। बूंदी के लड्डू का भोग भी लगाएं।

  1. शनिवार को शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद सरसों के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।

मकर राशि के लिए उपाय

1.शनि अमावस्या के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर शमी वृक्ष की जड़ काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्याएं हैं, उनका निदान होगा।

  1. इस शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

अर्थात:1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।

 

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