राजनीति

सातवां साल, इन प्रधानमंत्रियों के लिए बना काल, PM मोदी का भी कर दिया बुरा हाल

बीते करीब एक साल से अधिक समय से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचाकर रखा है. भारत में भी बीते एक साल से हालात बहुत खराब बने हुए हैं. बीते साल कोरोना से जब स्थिति बिगड़ी तो सरकार के कड़े प्रयासों से इस वैश्विक महामारी पर काबू पा लिया गया था, हालांकि एक बार फिर भारत को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. देखा जा रहा है कि, पिछली बार की तुलना में इस बार मोदी सरकार के हाथ से स्थिति थोड़ी निकली हुई नज़र आई है. कोरोना की दूसरी लहर ने सरकार को बहुत परेशान कर दिया है.

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बता दें कि, पीएम मोदी अपने कार्यकाल के सातवें साल में इस महामारी के चलते वे थोड़े लड़खड़ाते हुए नज़र आ रहे हैं, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले भारत के तीन और पूर्व पीएम अपने कार्यकाल के सातवें साल में लड़खड़ाते हुए नज़र आए थे. इनमें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और डॉ मनमोहन सिंह का नाम शामिल है. आइए जानते हैं कि, आख़िर इन सभी पूर्व पीएम के कार्यकाल का सातवां साल किस तरह से उनके लिए बहुत बुरा साबित हुआ था.

पंडित जवाहरलाल नेहरू…

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पंडित नेहरू को दुनियाभर में जाना जाता है. जब साल 1947 में भारत को आजादी मिली थी तो देश का पहला प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य जवाहरलाल नेहरू को मिला था. पड़ोसी मुल्क चीन के कारण नेहरू को फजीहत झेलनी पड़ी थी. नेहरू के सातवें कार्यकाल में दलाई तामा ने तिब्बत से जान बचाकर भारत का रुख किया था. जबकि इसी साल भारत और चीन के बीच झड़प भी होने लगी थी. संसद में नेहरू सवालों के घेरे में आ गए. चीन अपने पैंतरे आजमाता रहा और लगातार पंडित नेहरू की आलोचना होती रही.

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आगे जाकर चीन देश के लिए बहुत घातक साबित हुआ. नतीजा यह रहा कि, भारत को साल 1962 में चीन के हाथों युद्ध में बुरी हार मिली. कहा जाता है कि, इस हार से नेहरू बहुत चिंतित रहने लगे थे और वे इस सदमे से बाहर नहीं निकल पाए. साल 1964 में पंडित नेहरू का निधन हो गया.

इंदिरा गांधी…

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इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति का एक अमर नाम है. इंदिरा गांधी ने पीएम का पद संभालते ही इतिहास रच दिया था. उनके नाम भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री होने का कीर्तिमान है. अपने कार्यकाल में इंदिरा गांधी खूब सुर्ख़ियों में रही. उन्होंने अनेकों ऐसे काम किए जिसके चलते उन्हें अब भी याद किया जाता है. लेकिन कार्यकाल का सातवां साल बहुत बुरा साबित हुआ.

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इंदिरा ने 25 जून 1975 को देश में आंतरिक आपात काल की घोषणा कर दी.जिसके चलते उनकी ख़ूब आलोचना हुई. दो साल बाद साल 1977 में आपात काल ख़त्म किया गया और आम चुनाव हुए. जिसमे कांग्रेस एवं इंदिरा गांधी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.

डॉ मनमोहन सिंह…

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डॉ मनमोहन सिंह साल 2011 में कार्यकाल के सातवें साल में थे. इस दौरान अन्ना हजारे का आंदोलन उनके लिए मुसीबत बनकर सामने आया. इस आंदोलन ने देशभर में ख़ूब हाहाकार मचाया.

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लाखों लोग अन्ना हजारे के साथ जुड़ गए. इससे सबसे अधिक परेशानी मनमोहन सिंह और UPA सरकार को हुई थी. अन्ना के आंदोलन ने इस सरकार को हिलाकर रख दिया था.

नरेंद्र मोदी…

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के सातवें साल में हैं. साल 2014 में पीएम मोदी ने पहली बार पीएम के रूप में शपथ ली थी. देश-दुनिया देख ही रही है कि, इस समय मोदी जी और पूरी सरकार बुरे दौर से गुजर रही है. कोरोना की दूसरी लहर को लेकर मोदी सरकार हर किसी के निशाने पर बनी हुई है. देश के साथ ही विदेशी मीडिया में भी पीएम मोदी के ख़िलाफ़ काफी कुछ लिखा गया है.

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