राजनीति

सिंधिया ने किया कांग्रेस की और से मिले ऑफर का खुलासा, कहा-बनाना चाहते थे उप मुख्यमंत्री, मगर…

बीजेपी के नेता व राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी की और से उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद देने की पेशकश की गई थी। लेकिन उन्होंने कांग्रेस पार्टी की और से दिए गए इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। बीजेपी पार्टी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने मुझे मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री का पद देने का प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन जनता की भलाई के लिए मैंने इसे ठुकरा दिया। सिंधिया ने ग्वालियर में नए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ये बात कही है।

गिरने वाली थी कमलनाथ सरकार

सिंधिया ने कहा कि मुझे इस चीज का अंदाजा लग गया था कि कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का 15 महीने में ही बंटाधार हो जाएगा और हुआ भी यही। सिंधिया ने रविवार को बीजेपी के तीन दिवसीय सदस्यता अभियान के दौरान कहा कि मुझे शीर्ष नेतृत्व ने उप मुख्यमंत्री के पद का ऑफर दिया था। लेकिन मैंने इस पद को लेने की बजाय जनता की सेवा करना ठीक समझा। कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए  सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश की जनता के साथ वादाखिलाफी की है। राहुल गांधी ने वादा किया था कि अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी तो 10 दिनों में किसानों के दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ हो जाएंगे। लेकिन कर्ज माफ नहीं हुए।

भ्रष्टाचार का लगाया आरोप

सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया और कहा कि उन्होंने कांग्रेस सरकार को मजबूती और विकास के लिए ग्वालियर-चंबल से 26 सीटें दीं। लेकिन विकास की बजाय यहां पर भ्रष्टाचार होता रहा। मैं अपनी दादी और पिता की तरह जनता का सेवक हूं, कुर्सी का सेवक नहीं। अगर मैं कुर्सी का सेवक होता। तो जब मुझे उप मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया गया था। तो मैं उसे स्वीकार कर लेता।

दिग्विजय सिंह ने लगाया था सिंधिया पर आरोप

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सिंधिया को उप मुख्यमंत्री का पद सौंपे जाने की बात कही थी। दिग्विजय सिंह ने कहा था कि पार्टी ने मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री बनने का ऑफ दिया था, लेकिन सिंधिया ने अपने चेले को उप मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी। लेकिन कमलनाथ ने चेले को इस पद के लिए अस्वीकार कर दिया था।

गौरतलब है कि सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था। सिंधिया के साथ कई सारे कांग्रेस के विधायक भी बीजेपी पार्टी में शामिल हो गए थे। जिससे प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिर गई और बीजेपी सरकार एक बार फिर से सस्ता में आ गई।

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