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दर-दर भटक रही है अफगान की ये Female Cop, कहा- तालिबान से बचा लो मुझे 

अफगानिस्तान की टॉप पुलिस ऑफिसर गुलअफरोज ऐबतेकर इन दिनों अंडरग्राउंड हो गई हैं। तालिबान के सत्ता में आते ही ये अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां भाग रही हैं और कई देशों से शरण मांग रही हैं। 34 वर्षीय गुलअफरोज ऐबतेकर ने अफगानिस्तान से निकलने के लिए काफी सारे प्रयास किए। उन्होंने अमेरिका सहित कई देशों की एम्बेसी से गुहार भी लगाई थी। लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आया।

देश छोड़ने के मकसद से ये काबुल हवाईअड्डे पर भी गई। लेकिन यहां पर भी उनको मदद नहीं मिली। उन्हें लगा कि अमेरिकी सैनिक उन्हें साथ ले जाएंगे। मगर वो भी उन्हें मरने के लिए छोड़ गए। उन्होंने इस आस में काबुल हवाईअड्डे पर कई दिन गुजारे।

लेडी कॉप के नाम से प्रसिद्ध गुलअफरोज ऐबतेकर ने कहा कि जब मैंने एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों को देखा तो राहत की सांस ली। मेरे को ऐसा लगा कि अब मैं बच जाऊंगी। मुझे लगा कि अब हम सुरक्षित हैं। लेकिन कुछ ही दिनों में मेरी ये सोच गलत साबित हुई। मैंने टूटी-फूटी अंग्रेजी में यूएस सैनिकों को समझाया कि मेरी जान को खतरा है। मैंने उन्हें अपना पासपोर्ट, पुलिस ID और पुलिस सर्टिफिकेट भी दिखाया। मगर उन्होंने कोई मदद नहीं की। पांच दिनों के इंतजार के बाद मुझे अमेरिकी सैनिकों ने एयरपोर्ट से वापस भेज दिया।

‘डेली मेल’ की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान लड़ाके उन्हें खोज रहे हैं। काबुल हवाईअड्डे पर भी तालिबान के लड़ाके उन्हें मारने के लिए आए थे। लेकिन ये किसी तरह से अपनी जान बचाने में कामयाब हुई और वहां से बच निकली।

वहीं जब गुलअफरोज एयरपोर्ट से वापस अपने घर आई तो उनकी मां ने बताया कि तालिबानी उन्हें ढूंढते हुए यहां आए थे। इसके बाद वो वापस मदद के लिए एयरपोर्ट पहुंची। जहां तालिबानी लड़ाकों ने उनके साथ जमकर मारपीट की। किसी तरह बचकर वो वहां से निकल पाई और तभी से ये अंडरग्राउंड हो गई हैं।

गुलअफरोज ऐबतेकर ने कहा कि मैंने कई देशों की एम्बेसी से मदद मांगी। कहा कि मुझे और मेरे परिवार को बचा लें। मैं पांच दिनों तक हवाईअड्डे के रिफ्यूजी कैंप में रही। मुझे पूरी उम्मीद थी कि अमेरिकी मदद करेंगे। लेकिन उन्होंने भी आखिरी वक्त पर धोखा दे दिया। अब मेरे पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। अगर तालिबान ने मुझे पकड़ लिया, तो वो मार डालेंगे।

गुलअफरोज के मुताबिक उन्होंने रूस से भी मदद मांगी। वो मदद के लिए रूसी दूतावास भी गई। लेकिन वहां पर भी किसी ने उनकी कोई सहायता नहीं की। दरअसल तालिबान लगातार उन पर नौकरी छोड़ने का दबाव डाल रहा था। तालिबान ने उन्हें एक पत्र लिखकर कहा था कि पुलिस की नौकरी महिलाओं के लिए नहीं है। इसलिए उन्हें तुरंत नौकरी छोड़ देनी चाहिए। लेकिन गुलअफरोज ने चेतावनियों पर गौर नहीं किया और अपना काम जारी रखा।

बता दें कि गुलअफरोज एकमात्र ऐसी अफगान महिला हैं, जिन्होंने पुलिस अकादमी से मास्टर डिग्री के साथ ग्रेजुएशन किया है। गुलअफरोज ऐबतेकर अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के आपराधिक जांच विभाग की डिप्टी चीफ थीं। ये कई अफगान की महिलाओं के लिए प्रेरणा थी। लेकिन आज ये यहां-वहां भागने को मजबूर हैं।

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