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कश्मीर की तर्ज पर चीनी पत्थरबाजों से निपटेगी भारतीय सेना, सैनिकों को मिलेंगे ऐसे ख़ास कवच

पहले तो पत्थरबाजी की घटना कश्मीर से ही आती थी, मगर इस बार पत्थरबाजी की घटना की खबर चीनी बॉर्डर से आई है। जाहिर तौर पर जब समस्या कश्मीर जैसी है, तो इसका हल भी सरकार ने कश्मीर जैसा ही निकाला। दरअसल Line of actual control यानी की LAC पर तैनात सैनिकों को एक खास तौर पर बने कवच दिए जाएंगे। ये कवच ठीक वैसे बनाए जाएंगे जैसे जवान कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी से बचने के लिए उपयोग करते हैं। इस फैसले की वजह लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों द्वारा किया गया धोखे से हमला है।

आपको बता दें, 1996 और 2005 में हुई भारत-चीन संधि की वजह से लंबे समय से इस तरह की प्रक्रिया चली आ रही है कि फ़ेस-ऑफ़ के दौरान जवान फ़ायरआर्म्स (बंदूक़) का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसे में चीन की सेना द्वारा 15 जून की रात को एक कायरता पूर्ण हरकत की गई। दरअसल, चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर पत्थरों और नुकीले तारों वाले डंडों से धोखे से हमला किया था। इस हमले की वजह से भारत ने अपने 20 जवान खो दिए थे। वहीं 40 चीनी सैनिकों की भी जान जाने की बात सामने आ रही थी जिसकी चीनी सरकार ने पुष्टि नहीं की।

मीडिया के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो इस तरह की जानकारी आ रही है कि केंद्र सरकार इससे निपटने की योजना तैयार कर रही है। इस योजना के अंतर्गत इंडो-तिब्बत बॉर्डर पर तैनात हर पुलिस (ITBP) की कंपनी के लगभग 10 प्रतिशत जवानों को पूर्ण बॉडी सुरक्षा कवच दिया जाएगा। इनका इस्तेमाल वे जवान करेंगे जो आगे पेट्रोल पर होंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें, सेना के साथ ITBP के जवान भी 3,488 किलोमीटर लंबी LAC पर पट्रोलिंग किया करते हैं।

क्यों है यह सुरक्षा कवच ख़ास ?

आपकी जानकारी के लिए बता दें, फुल बॉडी प्रटेक्टर सबसे पहले जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों को दिए गए थे। इसका उपयोग वहां पत्थरबाजी से बचने के लिए किया जाता था। सिर्फ यही नहीं फुल बॉडी प्रटेक्टर मिट्टी के तेल, पेट्रोल, डीजल आदि की आग को भी सहन कर सकते हैं। इसका कुल भार तकरीबन 6 किलो तक होता है। इसके साथ ही इसमें छाती की रक्षा करने का कवच, कंधों के पैड, ऊपरी बाजू के गार्ड, कोहनी, कलाई के साथ-साथ निचली बॉडी को बचाने का भी पूरा इंतजाम होता है।

बता दें कि ITBP ने हाल ही में 5 हजार के करीब प्रटेक्टर खरीदे थे। जो कि एक सराहनीय पहल है, इसके साथ ही इस तरह के प्रोटेक्टर हमारी सेना का मनोबल भी बढ़ाएंगे। मगर जिस तरह के हालत वर्तमान में पैदा हो रहे हैं उसको देखते हुए यह काफी कम पड़ेंगे। चीन से चल रही कटुता के चलते इस दौरान लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के चीन से सटे बॉर्डर पर ITBP की 60 कंपनियों को तैनात किया जाना है। ऐसे में भारत सरकार को अत्यधिक प्रोटेक्टर की आवश्यकता पड़ेगी जिससे हमारे जवान सुरक्षित रहें और वो डट कर दुश्मनों का सामना कर सकें।

आपको क्या लगता है यह प्रोटेक्टर हमारे सैनिकों का कितना हौंसला बढ़ाएंग? हमें कमेंट में लिख कर जरूर बताइएगा।

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