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जन्मदिन विशेषः 14 साल की उम्र में कैलाश खेर ने छोड़ दिया था घर, करने वाले थे सुसाइड फिर…

कैलाश ने बॉलीवुड में 500 से ज्यादा गाने गाए हैं लेकिन इस सफलता पाने के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है

बॉलीवुड के मशहूर सूफी गायक कैलाश खेर आज अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 7 जुलाई 1973 को यूपी के मेरठ में हुआ था। लोगों को कैलाश खेर की सफलता दिखाई देती है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने जो सफर तय किया उसके बारे में कम लोग ही जानते हैं। कैलाश खेर को शुरु से ही संगीत में बहुत दिलचस्पी थी। उन्होंने महज 14 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। आज इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कैलाश ने किन-किन चीजों का सामना किया उसके बारे में आपको बताते हैं।

संगीत के लिए छोड़ घर

कैलाश खेर के पिता पांरपरिक लोक गायक थे। ऐसे में उनके घर मे शुरु से ही संगीत का माहौल था। कैलाश को लगता था कि उनके अंदर गाने की जो प्रतिभा है उसे निखारने के लिए उन्हें संगीत गुरु की जरुरत है। ऐसे में संगीत गुरु की तलाश में उन्होंने घर छोड़ दिया। हालांकि घर छोड़ते ही तो उन्हें कोई बड़ा ब्रेक नहीं मिलने वाला था। इसलिए उन्हे गुजारे के लिए कोई काम तो करना ही था। ऐसे में उन्होंने संगीत की शिक्षा देनी शुरु कर दी। उन्हें हर सेशन के 150 रुपए मिलते थे।

कैलाश खेर का इससे दिन तो कट जा रहे थे, लेकिन उनके मन में संतुष्टि नहीं थीं। इसके बाद कैलाश खेर ने 1999 में एक फैमिली फ्रेंड के साथ हैंडिक्रॉफ्ट का बिजनेस शुरु किया। कुछ समय ये काम सही चला, लेकिन फिर बिजनेस में नुकसान होने लगा। इस दौर में कैलाश को कुछ नहीं समझ आ रहा था कि वो क्या करे। कैलाश डिप्रेशन में चले गए और उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म करने तक का सोच लिया था।

जब सुसाइड करने की कोशिश करने लगे थे कैलाश

सूफी गायक कैलाश के मन में आया कि वो अपनी जान दे दें, लेकिन अपने इस मकसद में वे सफल नहीं हुए। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने अपने आप को संभाला और फिर से मेहनत करने मे जुट गए। उन्हें समझ आया कि वो एक सफल गायक बन सकते हैं, लेकिन मंजिल अभी भी दूर थी। साल 2001 में कैलाश दिल्ली से निकलकर मुंबई तक पहुंचे, लेकिन पैसे की कमी के कारण उन्हें चॉल में रहना पड़ा।

कैलाश मुंबई तो आ गए लेकिन काम के लिए दर-दर भटकते रहे। उस वक्त उनकी मुलाकात संगीतकार राम संपत से हुई। उन्होंने कैलाश खेर को गाने का मौका दिया। इसके बाद कैलाश खेर ने ‘अल्लाह के बंदे……’ गाना गाया और ये गाना जबरदस्त हिट साबित हुआ। इसके बाद कैलाश के लिए बॉलीवुड में दरवाजे खुल गए। उन्होंने बॉलीवुड में 500 से ज्यादा गाने गाए।

संघर्ष से पाई बॉलीवुड में सफलता

सैंय्यां, तेरी दीवानी और तौबा तौबा जैसे एलबम सॉन्ग के साथ भी कैलाश ने गजब सफलता पाई। कैलाश खेर को साल 2017 में पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। कैलाश खेर ने फिल्मफेयर बेस्टमेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

बता दें कि कैलाश खेर अपने जन्मदिन के मौके पर हर साल एक फ्रेश न्यू टैलेंट को मौका देते है। कैलाश खेर का मानना है कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। उन्होंने महसूस किया कि दुनिया में उन्हीं की तरह कई प्रतिभावान लोग मौजूद हैं जिन्हें मंच नहीं मिल रहा कि वो अपनी प्रतिभा दिखा सकें। इसके चलते ही कैलाश खेर ने एक ‘नई उमंग’ नाम  से एक ऑर्गनाइजेशन बनाई है जहां पर नए टैलेंट्स को  मौका मिलता है। हर साल जन्मदिन के मौके पर नए लोगों को मौका देते हैं।

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