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धरती से सिर्फ इतनी दूरी से गुज़र गया उल्कापिंड, अगर धरती से टकरा जाता तो मच सकती थी तबाही

आज धरती के पास से एक और विशाल उल्कापिंड गुजर गया है। इस उल्कापिंड को बेहद ही खतरनाक माना जा रहा था। NASA के प्लैनेटरी डिफेंस नेटवर्क की और से इस उल्कापिंड को लेकर चेतावनी जारी की गई थी। जिसमें कहा गया था कि अगर ये उल्कापिंड धरती पर गिरता है। तो काफी तबाही मच सकती है। नासा के अनुसार ये उल्कापिंड तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था और 24 जून यानी आज धरती के करीब से इसे गुजरना था। वहीं आज ये विशाल उल्कापिंड धरती के पास से गुजर गया है। इस उल्कापींड को नासा ने ‘2010 एनवाई65’ दिया गया है।

37 लाख किलोमीटर दूरी से निकला

तेज रफ्तार से गुजरने वाले खगोलीय पिंडों को नीयर अर्थ ऑबजेक्टस (NEO) कहा जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार ये विशाल उल्कापिंड धरती से करीब 37 लाख किलोमीटर दूरी से निकला है। वहीं जून महीने में धरती के पास से गुजरने वाला ये तीसरा उल्कापिंड है।

खतरनाक श्रेणी में था ये उल्कापिंड

धरती के पास से गुजरे इस उल्कापिंड को खतरनाक श्रेणी में रखा गया था। दरअसल नासा के वैज्ञानिक उन सभी एस्टेरॉयड्स को धरती के लिए खतरनाक मानते हैं। जो धरती से 75 लाख किलोमीटर की दूरी के अंदर से निकलते हैं।

12.15 बजे के पास धरती से गुजरा ये विशाल उल्कापिंड

नासा के अनुसार आज ये उल्कापिंड दोपहर 12.15 बजे धरती के करीब से गुजरा है। ये विशाल उल्कापिंड 1017 फीट लंबा था और इसका व्यास 310 मीटर था।

मच सकती थी भारी तबाही

कई अखबारों में नासा के हवाले से लिखा गया था कि ये उल्कापिंड 46,500 किमी प्रतिघंटे यानी 13 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। इस उल्कापिंड को साल 2013 में रूस में गिरे उल्कापिंड से 15 गुना बड़ा बताया जा रहा था। साल 2013 में रुस में गिरे विशाल उल्कापिंड ने काफी तबाही मचाई थी और इसके कारण 1000 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा लोगों के घरों को भी काफी नुकसान पहुंचा था।

कुतुब मीनार से था बड़ा

इस विशाल उल्कापिंड की लंबाई एफिल टावर और कुतुब मिनार से कई बड़ी बताई जा रहा थी। आपको बता दें कि कुतुब मीनार 240 फीट लंबा है। वहीं अगर ये विशाल उल्कापिंड धरती पर गिर जाता तो धरती पर काफी तबाही मच जाती।

6 और 8 जून को धरती के बगल से गुजरे थे उल्कापिंड

इस महीने कुल पांच उल्कापिंड धरती के बगल से गुजरने वाले हैं। जिसमें से ये तीसरा उल्कापिंड है। इससे पहले जून महीने की 6 और 8 तारीख को धरती के बगल से दो उल्कापिंड गुजरे थे। 8 जून को गुजरने वाले उल्कापिंड की गति 24,050 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। ये धरती से करीब 30 लाख किलोमीटर दूर से निकला था।

क्या होता है उल्कापिंड

आप सोच रहें होंगे की आखिर ये उल्कापिंड क्या होते हैं। साइंस के अनुसार सूर्य का चक्कर लगाने वाले छोटे खगोलीय पिंड ‘क्षुद्रग्रह’ या उल्कापिंड कहलाते हैं। ये ज्यादातर मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद ‘एस्टेरॉयड बेल्ट’ में मौजूद होते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बच जाता है और पृथ्वी तक पहुंच जाते हैं उसे उल्कापिंड कहा जाता है। धरती के पास से समय-समय पर उल्कापिंड गुजरते रहते हैं।

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