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तात्या टोपे का जीवन परिचय (Tatya Tope Ka Jeevan Parichay)

तात्या टोपे का जीवन परिचय (Tatya Tope Ka Jeevan Parichay) : तात्या टोपे (tatya tope in hindi) भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर जाने जाते हैं। जिन्होंने भारत माता को आजाद करवाने के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इनकी अहम भूमिका रही थी और इन्होंने उस दौरान ब्रिटिश शासन की नींव को हिला कर रख दिया था।

तात्या टोपे का जीवन परिचय (Tatya Tope Ka Jeevan Parichay)

पूरा नाम (Real Name) रामचंद्र पांडुरंग येवलकर
प्रसिद्ध नाम तात्या टोपे
जन्म (Birthday) 1814 ईसवी, पटौदा जिला, महाराष्ट्र
पिता (Father Name) पांडुरंग पंत
माता का नाम (Mother Name) रुकमा बाई

तात्या टोपे का जीवन परिचय

तात्या टोपे का जीवन परिचय में सबसे पहले बात करते हैं उनके जन्म की। तात्या टोपे का जन्म महाराष्ट्र राज्य में एक ब्राह्मण परिवार में सन् 1814 में हुआ था और तात्या टोपे का असल नाम रामचंद्र पांडुरंग येवलकर था। इनको बचपन में लोग प्यार से तात्या बुलाते थे और यहीं से इनका नाम तात्या के रुप में प्रसिद्ध हो गया। इनके पिता का नाम पांडुरंग पंत था और इनकी मां का नाम रुकमा बाई था। इनके पिता महान राजा पेशवा बाजीराव द्वितीय के यहां काम किया करते थे और इनके बेहद ही खास थे।

छोड़ना पड़ा अपना घर

पेशवा बाजीराव द्धितीय और अंग्रेजों के बीच हुए एक युद्ध में पेशवा बाजीराव द्धितीय की हार हो गई थी। जिसके बाद इनके राज्य पर अंग्रेजों ने अपना कब्जा कर लिया था। वहीं अंग्रेजों के कब्जा किए जाने के बाद इस जगह पर रहने वाले लोगों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया। जिस समय तात्या टोपे के पिता ने इस जगह से पलायन किया था। उस समय तात्या टोपे की आयु 3 साल की थी। महाराष्ट्र को छोड़कर तात्या टोपे अपने परिवार के साथ उत्तर प्रेदश के कानपुर के पास बिठूर में जाकर रहने लगे।

किया करते थे युद्ध अभ्यास

तात्या टोपे (tatya tope in hindi) अपने मित्रों, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशव और राव साहब के साथ युद्ध अभ्यास किया करते थे। युद्ध अभ्यास करने के साथ ही इन्होंने नाना साहिब के साथ रहकर अपनी शिक्षा भी ग्रहण की थी। नाना साहब और तात्या टोपे की दोस्ती काफी गहरी थी और आगे जाकर तात्या टोपे नाना साहब के बेहद ही करीबी बन गए थे और इन दोनों ने मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लगातार विद्रोह किया था।

1857 की क्रांति में तात्या टोपे की भूमिका – Tatya Tope in 1857 War

नाना साहब के पिता बाजीराव पेशवा से अंग्रेजों ने उनका राज्य छीन लिया था। जिसके कारण नाना साहब और तात्या टोपे के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा हो गई थी। बड़े होकर इन दोनों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया। इस विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई ने भी इनका साथ दिया था।

तैयार की अपनी सेना

1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सैन्य विद्रोह शुरू हुआ था और इस विद्रोह का फायदा उठाते हुए नाना साहब ने अपनी एक सेना तैयार की और तात्या टोपे ने नाना साहब की मदद की थी। नाना साहब ने तात्या टोपे को अपनी सेना का सेनापति भी नियुक्त किया गया था।

तात्या टोपे का जीवन परिचय

कानुपर में अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में नाना साहब को हार मिली और उन्हें कानपुर छोड़कर जाना पड़ा। कानुपर को छोड़कर नाना साहब अपने परिवार के साथ नेपाल चले गए। वहीं तात्या टोपे भारत में ही रहे और उन्होंने अपनी लड़ाई को जारी रखा।

लक्ष्मी बाई के साथ मिलकर किया अंग्रेजों का सामना- Tantia Tope and Rani Laxmi Bai

तात्या टोपे ने रानी लक्ष्मी बाई के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध को जारी रखा। सन् 1857 में अग्रेंजों ने झांसी पर हमला कर दिया और झांसी के महल को चारों और से घेर लिया। जब तात्या टोपे को इस बात की जानकारी मिली तो वो फौरन रानी लक्ष्मी बाई की मदद करने के लिए झांसी चले गए। झांसी में जाकर तात्या टोपे ने रानी लक्ष्मी बाई को उनके किले से निकाला और उन्हें अपने साथ  कालपी में ले आए।

कालपी आने के बाद तात्या टोपे (tatya tope in hindi) और झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाई। इस रणनीति के तहत इन्होंने ग्वालियर के किले पर कब्जा करने का फैसला किया। ग्वालियर के किले पर अपना अधिकार जमाने के लिए इन्होंने  ग्वालियर के महाराज जयाजी राव सिंधिया से हाथ मिला लिया और इस किले को अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि एक साल बाद अंग्रेजों ने ग्वालियर के किले पर हमला कर दिया और इस किले पर कब्जा कर लिया। इस हमले में रानी लक्ष्मी बाई बुरी तरह से घायल हो गई थी। वहीं तात्या टोपे अंग्रेजों से बचने में कामयाब हुए। तात्या टोपे (tatya tope in hindi) ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी जंग को जारी रखा और कई समय तक इन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नाक में दम करके रखा।

तात्या टोपे से जुड़े रोचक तथ्य – Facts About Tatya Tope

  • तात्या टोपे ने अंग्रेजों के खिलाफ करीब 150 युद्ध लड़े थे।
  • कहा जाता है कि इनकी वजह से 10 हजार सैनिक मारे गिए थे।
  • मध्य प्रदेश में तात्या मेमोरियल पार्क भी बना हुआ है।

तात्या टोपे की मृत्यु – Tatya Tope Death

तात्या टोपे का जीवन परिचय के बाद जानते हैं तात्या टोपे की मृत्यु कैसे हुई? तात्या टोपे की मृत्यु कैसे हुई इसके बारे में कई मतभेद है। कुछ इतिहासकारों का माना है कि नरवर के शासक मानसिंह जी ने तात्या टोपे के साथ धोखा किया था और जब ये जंगल में आराम कर रहे थे । तब इस बात की जानकारी मानसिंह कने अंग्रेजो को दे दी थी। जिसके बाद तात्या टोपे (tatya tope in hindi) को पकड़ लिया गया था। पकड़ने के बाद इनके खिलाफ केस चलाया गया और इन्हें फांसी की सजा दी गई। 18 अप्रैल, 1859 में तात्या टोपे को फांसी दी गई थी।

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