अध्यात्म

12 जुलाई से है चातुर्मास की शुरुआत, चार महीनों तक ना करें ये काम

12 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत हो रही है और इस महीने के दौरान मंगल कार्य नहीं किए जाते हैं। चातुर्मास 4 महीनों तक चलता है और चातुर्मास की शुरुआत  श्रावण मास से शुरू हो जाती है और कार्तिक मास तक चलती है। श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि से भगवान विष्णु योग निद्रा मे चले जाते हैं और 4 महीनों तक निद्रा में ही रहते हैं। इन चार महीनों की अवधि को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु के योग निद्रा में होने की वजह से ही चार महीनों यानी चातुर्मास को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

आखिर क्या किया जाता है इस दौरान

इन चार महीनों के दौरान ध्यान किया जाता है और सकारात्मक ऊर्जा एकाग्र की जाती है। पुराणों में चातुर्मास के महीने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अक्सर व्रत और त्योहार की वजह से मनुष्य अपने लिए समय नहीं निकाल पाता है और हर वक्त व्यस्त रहता है। मनुष्य अपने लिए समय निकाल सके इसलिए चातुर्मास का महीना आता है। चातुर्मास के दौरान इंसान को शुभ कार्यों से हटकर अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए और भगवान के नाम का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत रहता है और हम भगवान के और करीब चले जाते हैं।

चातुर्मास के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

  • चातुर्मास के दौरान सेहत का ध्यान रखने की बात पुराणों में कही गई है। पुराणों में लिखा गया है कि चातुर्मास के दौरान कई ऐसी चीजे होती हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान बैंगन, मूली, मसालेदार भोजन और सुपारी का सेवन करना सही नहीं माना गया है। इनके अलावा मांसाहार और शराब का सेवन भी  चातुर्मास के दौरान वर्जित माना गया है।
  • श्रावण के महीने से ही चातुर्मास की शुरूआत होती है और पुराणों में लिखा गया है कि श्रावण के दौरान शहद  और अधिक मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। जबकि भाद्रपद मास में दही का, आश्विन मास में दूध का और कार्तिक मास में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए ।

  • चातुर्मास में केवल जमीन पर ही सोना चाहिए और इन चार महीनों के दौरान सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
  • इन चार महीनों के दौरान जितना हो सके उतना अधिक ध्यान करना चाहिए और मौन रहना चाहिए।
  • किसी भी संस्कार और मांगलिक कार्य को इन चार महीनों यानी श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक के दौरान ना करें।
  • चातुर्मास में आप तप करें और भगवान के नाम का जाप करें। ऐसा करने से  नकारात्मक विचार दिमाग में नहीं आते हैं और शरीर सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
  • इन चार महीनों के दौरान आप गलत कार्य ना करें और परमात्मा के साथ जुड़ाने की कोशिश करें।
  • चातुर्मास के समय आप केवल घर का ही खाना खाएं और बाहर का खाना खाने से बचें। दरअसल इन चार महीनों के दौरान बैक्‍टीरिया और कीड़े-मकोड़े अधिक होते है और ऐसा में कई तरह की पेट से संबंधित बीमारियां लगने का खतरा बढ़ जाता है।

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