दिलचस्प

लगातार अभ्यास करने से कोई भी व्यक्ति ज्ञानी बन सकता

इंसान की पहचान उसके ज्ञान से होती है और वो ही व्यक्ति जीवन में कामयाब हो पाता है जो कि ज्ञानी होता है। जीवन में ज्ञान होना और दिमाग का सही जगह प्रयोग करना बेहद ही जरूरी होता है। जो लोग अपने ज्ञान का प्रयोग सही समय पर करते हैं उन लोगों को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। ज्ञान हासिल करने की कोई भी उम्र नहीं होती है और आप जब चाहें तब ज्ञान हासिल कर सकते हैं। प्रसिद्ध महाकवि कालिदास जी बेहद ही ज्ञानी व्यक्ति हुआ करते थे। लेकिन शादी से पहले कालिदास अनपढ़ हुआ करते थे और उन्हें किसी भी चीज का ज्ञान नहीं थी। कालिदास ने शादी के बाद ज्ञान हासिल किया और एक महान कवि बन सकें।

प्रसिद्ध महाकवि कालिदास की कहानी

प्रसिद्ध महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार है और इन्होंने अपने जीवन में कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखी हैं। कालिदास का जीवन हमारे लिए काफी प्रेरणादायक है। जो लोग अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं उन लोगों को एक बार जरूर कालिदास के जीवन की कहानी पढ़नी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि महाकवि कालिदास दिखने में काफी सुंदर हुआ करते थे। लेकिन वो अनपढ़ और मूर्ख थे। वहीं कालिदास की पत्नी विद्योत्तमा काफी बुद्धिमान थी।

विद्योत्तमा को शास्त्रार्थ का काफी ज्ञान हुआ करता था और एक बार विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में कई  विद्वानों को हरा दिया था। अपनी हार का बदला लेने के लिए विद्वानों ने शास्त्रार्थ में विद्योत्तमा का मुकाबला कालिदास से करवा दिया। कालिदास को किसी भी चीज का ज्ञान नहीं था। लेकिन फिर भी वो इस मुकाबले को जीत गए। विद्योत्तमा को लगा कि कालिदास काफी ज्ञानी है। विद्योत्तमा ने कालिदास से विवाह करने का निर्णय ले लिया और कुछ समय बाद विद्योत्तमा और कालिदास ने विवाह कर लिया।

विवाह होने के कुछ समय बाद विद्योत्तमा को इस बात का एहसास हुआ कि कालिदास मूर्ख है और उन्हें किसी भी चीज का ज्ञान नहीं है। गुस्से में आकर विद्योत्तमा ने कालिदास को अपने घर से निकल दिया और तभी घर वापस आने को कहा जब वो अच्छे से ज्ञानी बन जाए। पत्नी के घर से निकाले जाने के कारण कालिदास काफी निराश हुए और कालिदास ने विद्वान बनने का निर्णय ले लिया। इसके बाद कालिदास मां काली देवी की पूजा में लग गए और ज्ञान हासिल करने में जुट गए। मां की कृपा और कालिदास की मेहनत की वजह से ही वो ज्ञान हासिल कर पाए। वहीं ज्ञान हासिल करने के बाद कालिदास अपनी पत्नी के पास गए और उन्होंने संस्कृत भाषा में दरवाजा खड़का कर कहा- कपाटम् उद्घाट्य सुंदरी (दरवाजा खोलो, सुंदरी)। कालिदास दास के मुंह से संस्कृत भाषा सुनकर विद्योत्तमा हैरान हो गई और वो समझ गई कि कालिसदास ज्ञान हासिल करके उनके पास वापस से आ गए हैं। इसके बाद कालिदास ने कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखी जिनमें से अभिज्ञानशाकुंतलम् और मेघदूतम् काफी प्रसिद्ध हुई। कालिदास के जीवन से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है और कालिदास की तरह मेहनत करने से कोई भी अज्ञान इंसान ज्ञान बन सकता है।

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