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नहीं रहे ‘बॉर्डर’ फिल्म के असली हीरो, सनी देओल ने निभाया था उनका आइकॉनिक किरदार

बॉलीवुड में किसी के जीवन पर आधारित फिल्में बनाने का सिलसिला आज से नहीं बल्कि दशकों से चला आ रहा है. कुछ ऐसी ही निर्देशक जे.पी. दत्ता ने साल 1993 में फिल्म बॉर्डर बनाई, ये फिल्म साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के समय जवानों की क्या हालत थी इसपर आधारित थी. उस युद्ध में अहम भूमिका ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चंदपुरी ने निभायी थी जिन्होंने अकेले लगभग 2000 पाकिस्तानी सैनिकों को पस्त कर दिया था.

फिल्म बॉर्डर में इस किरदार को हमारे बॉलीवुड के जांबाज एक्टर सनी देओल ने बखूबी निभाई थी. 77 साल की उम्र में चंदपुरी ने पंजाब के मोहाली के फोक्टिस अस्पताल में आखिरी सांस ली वो कई समय से कैंसर बीमारी से पीड़ित थे. लोंगेवाला में उन्हें बहादुरी के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है. नहीं रहे ‘बॉर्डर’ फिल्म के असली हीरो, इनके बारे में आज हम आपको बताएंगे कुछ बातें और फिल्म की खास बात.

नहीं रहे ‘बॉर्डर’ फिल्म के असली हीरो

साल 1971 में कुलदीप सिंह चांदपुरी के संरक्षण में सभी भारतीय आर्मी के सेनाओं ने पाकिस्तान पर फतेह हासिल की थी. उन्होंने जिस जज्बे के साथ पाकिस्तानी सेनाओं को मार गिराया था वो आज देश के लिए मिसाल है लेकिन उन्हें घर-घर में कोई नहीं जानता अगर फिल्म निर्देशक जेपी दत्ता ने अपनी फिल्म बॉर्डर को पर्दे पर नहीं उतारा होता. फिल्म में सनी देओल ने इस किरदार को कुछ इस तरह निभाया कि लोगों में उत्सुकता हो गई थी चांदपुरी के बारे में जानने की और फिर इनके कई इंटरव्यूज भी हुए थे.

उस समय चांदपुरी मेजर थे और लोंगेवाला मे 90 जवानों के साथ मिलकर पाकिस्तान के 2000 जवानों पर जीत दर्ज की. साल 1971 की लड़ाई में मेजर चांदपुरी को पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन को लीड करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इससे पहले वो साल 1965 की लड़ाई में भी पाक सेना को धूल चटा चुके थे. मेजर चांदपुरी के पास सिर्फ 120 लोगों का ग्रुप था जबकि पाक की 51वीं ब्रिगेड के 2000 से 3000 जवान थे जिसके साथ 22वीं आर्म्ड रेजीमेंट की भी मदद थी.

5 दिसंबर, 1971 की सुबह दुश्मन ने भारतीय सेना पर हमाला बोल दिया था और हालात इतने मुश्किल थे कि चांदपुरी को उनका सामना बहुत सूझ-बूझ के साथ करना पड़ा था. पूरी रात उन्होंने 120 लोगों की कंपनी के साथ दुश्मनों का मुकाबला किया था और उन्हें धूल चला दी थी.

77 साल के थे ब्रिगेडियर चांदपुरी

कुलदीप सिंह चांदपुरी का जन्म 22 नवंबर, 1940 को अविभाजित भारत के पंजाब में हुआ था. आजादी के बाद इनका परिवार अपने पैतृक गांव रुड़की आ गया जो पंजाब के बलचौर में स्थित है. चांदपुरी अपने माता-पिता की एकलौती संतान थे और उन्होंने साल 1962 में होशियारपुर के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और इस दौरान वे एनसीसी के एक्टिव सदस्यों में भी शामिल थे.

कुलदीप सिंह साल 1962 के समय में भारतीय सेना में शामिल हुए और उन्होंने चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से कमीशन प्राप्क किया और पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन का हिस्सा भी बने. इन्होंने साल 1965 और साल 1971 के युद्ध में भाग लिया और इनकी जंग को खूब सराहना भी मिली थी.

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन बल में सालभर तर गाजा की सेवाएं की और दो बार मध्यप्रदेश के महू इन्फैंट्री स्कूल में इंस्ट्रक्टर भी रहे.

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