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9 दिन के बच्चे को चूहों ने कुतर डाला, उसके बाद जो हुआ वो दिल दहला देगा

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: बिहार एक ऐसा राज्य है जिसकी बदहाली से हर कोई पूरी तरह से वाकिफ है। वहां पर हर विभाग की हालत कितनी खत्साहाल है वो अक्सर ही देखने को मिल जाता है। अगस्त में हुई बारिश के मौसम में वहां पर सरकारी अस्पताल के जो हाल तो उसे देखने के बाद नितीश सरकार के दावों की पोल खुलती दिखाई दे गई थी। लोग स्वस्थ होने के लिए अस्पताल में जाते हैं लेकिन बिहार के अस्पताल के हालात उन दिनों ऐसे थे की वहां पर लोग जाकर बीमार हो रहे थे, वहां के अस्पताल किसी तालाब और नदी से कम नही थें क्योंकि वहां पर अस्पतालों में पानी तो भरा था लेकिन उसके साथ में ही उस पानी में मछलियां भी तैर रही थीं। इस तरह के हालात देखकर यह तो साफ था कि अगर आपको स्वस्थ रहना है तो बिहार के अस्पतालों में ना जाकर घर पर ही रहें।

ये तो थी बरसात की बातें, वहां की सरकार ने कई बहानें देकर इस बात को रफा-दफा कर दिया लेकिन अब हम जो आपको बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप सदमें में आ जाएंगे। और आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।

काफी दिन पहले एक खबर आई थी कि असम में तिनसुकिया नाम की एक जगह एक एटीएम में चूहों ने १२ लाख रूपए कुतर दिए थे।  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का यह एटीएम 22 दिन से बंद पड़ा था। इसे ठीक करने के लिए जब टेक्नीशियन वहां पहुंचे, तब घटना का खुलासा हुआ।

ये बात तब भी आपके गले के नीचे उतर गई होगी, हालांकी प्रशासन की लापरवाही पर आपको गुस्सा जरूर आया होगा। क्योंकीअगर समय रहते वह एटीएम सही हो जाता तो वो नोट चूहों का खाना नहीं बनतें। ये तो हुई एटीएम में पैसे कुतरने की बात लेकिन अब जो हम आपको बताएंगे उसे जानने के बाद आप अपने गुस्से को काबू में नहीं कर पाएंगे, क्योंकि ये बात ही कुछ ऐसी है।

मामला बिहार के दरभंगा जिले के सबसे बड़े अस्पताल DMCH के शिशु विभाग का है, जहां पर स्वास्थय व्यवस्था के खराब होने का एक ऐसा उदाहरण देखने को मिला है जिसे सुनकर आपका खून खौल उठेगा। अस्पताल में एक नौ दिन के बच्चे की मौत हो गई, और मौत की वजह सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। उस नन्हीं से बच्चे की जान जाने की वजह बना एक चूहा। ९ दिन के उस बच्चे की मौत चूहे के कुतरने की वजह से हुई। मृतक बच्चे के परिजन ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बता दें कि बच्चा अस्पताल के NICU में भर्ती था।

सोमवार की रात को उस बच्चे को मधुबनी के नज़रा गांव की रहने वाली वीणा देवी ने इलाज़ के लिए शिशु विभाग में भर्ती कराया था, लेकिन जब वो सुबह तक़रीबन 4 से 5 बजे के बीच अपने बच्चे को देखने NICU ने अंदर पहुंची तो उसके होश उड़ गए।

उसने देखा कि चूहे उसके बच्चे को कुतर रहे थे, ये देखरक जब वीणा देवी जोर से चिल्लाई तब आस्पताल का एक कर्मी वहां पर पहुंचा और उसने चूहे को भगाया लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।

वहीं, NICU में इस घटना के बाद से खौफ का माहौल है। इस घटना पर शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर ओम प्रकाश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, बच्चे की हालत काफी गंभीर थी,उसका बचना मुश्किल था. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित परिवारों के आरोप से इंकार नहीं किया जा सकता।

वे खुद भी मानते हैं कि सिर्फ शिशु विभाग ही नहीं, बल्कि पूरा अस्पताल ही चूहों के आतंक से परेशान है। उन्होंने बताया कि चूहों से बचने के कई उपाय भी किए गए, लेकिन सब बेकार साबित हुए।

अब यहां पर सवाल यह उठता है कि यहां पर गलती किसकी थी, उस मां की जो अपने बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल ले गई, या फिर अस्पताल प्रशासन की जिसकी लापरवाही के चलते बच्चे की जान गई, क्योंकी जहां पर नवजात बच्चे भर्ती किए जाते हैं वहां  पर हर समय नर्सों का होना अनिवार्यहोता है। या फिर चूहों की जिन्होंने अपनी भूख मिटाने के लिए एक बेजुबान की जान ले ली।

बता दें कि पीड़ित के परिजन न्याय के लिए दरभंगा के उप विकास आयुक्त को लिखित शिकायत कर इलाज़ में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर पर उचित कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। दरभंगा के जिलाधिकारी ने उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश भी दे दिए हैं।

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