अध्यात्म

एक ऐसा मंदिर जहां मुर्दा भी हो जाता है जिंदा, विज्ञान भी है हैरान

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: आज के समय में मनुष्य ने काफी तरक्की कर ली है भगवान की बनाई हर चीज का विश्लेषण कर लिया है, लेकिन इसके बावजूद आज भी कहीं ना कहीं विज्ञान भगवान  से पीछे हैं भले ही विज्ञान ने काफी प्रगति करके बड़ी बड़ी खोज कर ली हो लेकिन दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जिनके सामने विज्ञान ने भी घुटने टेक दिए.जी हां हम आज जो आपको बताने जा रहे हैं  वो जानने के बाद आप भी शायद कुछ देर के लिए सोच में पड़ जाएंगे।

मरने के बाद जिंदा होने की बात किस्से-कहानियों में सुनने को मिलती हैं अगर आपसे कोई आकर कहे कि कोई व्यक्ति मर के जिंदा हो गया है तो शायद आप उस इंसान की बात पर विश्वास ना करें और उस व्यक्ति को पागल समझें। लेकिन दुनिया में एक ऐसी जगह है जहां पर ऐसा होता है.जहां पर मृत व्यक्ति को लेकर जाया जाए तो उसकी आत्मा उस शव में वापस से प्रवेश कर जाती है। ऐसा क्यों होता है? इस बारे में विज्ञान ने कई बार खोज की लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगा.

समुद्र तल से लगभग 1372 मीटर ऊचाईं पर बसा यह गांव देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लाखामंडल नामक स्थान यमुना नदी की तट पर बर्नीगाड़ नामक जगह से केवल 4-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।प्राकृतिक सुंदरता और घनी वादियों से घिरी इस जगह पर स्थित एक ऐसा चमत्कारी शिवलिंग हैं जिसके बारे में यह मान्यता है कि कोई भी मरे हुए व्यक्ति के शरीर को जब इस शिवलिंग के पास लेकर जाया जाता है तो उस शरीर की आत्मा उसी शरीर में दोबारा प्रवेश कर जाती है और वो व्यक्ति दोवारा से जीवित हो उठता है।वहां के स्थानीय लोगों की मानें तो इस जगह पर खुदाई के वक्त कई शिवलिंग निकलते हैं एक बार तो उस जगह पर खुदाई के समय ऐतिहासिक काल के हजारों शिवलिंग मिले थे।

इस जगह के विषय में एक बात और है जो बहुत ज्यादा चर्चित है कि ये वही स्थान है जहां पर महाभारत काल में पांडवों को जीवित आग में भस्म करने के लिए उनके चचेरे भाई कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। साथ ही एक और मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर स्वयं युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था। इस शिवलिंग को आज भी महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है। जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित किया था वहां एक बहुत खूबसूरत मंदिर बनाया गया था। शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए हैं।

ऐसा माना जाता है कि यदि किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी द्वारा शव पर पवित्र जल छिडक़ा जाता है  तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जिंदा हो जाता है। जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। परन्तु इस बात का रहस्य क्या है यह आज तक कोई नहीं जान पाया है।इसके साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि यदि इस मंदिर के पास से किसी का शव लेकर लोग से गुजरते हैं तो कुछ देर के लिए उसके शरीर में प्राणों का फिर से संचार हो जाता है.

ऐसा क्यों होता हैं और इसके पीछे की वजह इस बात का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है और आज तक ये राज सिर्फ एक राज रह गया है।

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