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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया बड़ा झटका, SC/ST एक्ट में हुए बदलाव पर रोक लगाने से मना

जिस फैसले को लेकर देशभर में सोमवार को आगजनी देखने को मिली तो कहीं आज भी हिंसा हो रही है, उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बरकरार रखा है। जी हां, एससी एसटी में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बदलाव किया था, जिसको लेकर देशभर में प्रदर्शन कम हिंसा ज्यादा किया गया। इस हिंसा में करोड़ो का नुकसान हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को यह बताने में एक बार फिर से फेल हुई कि दलितोंं की मांग जायज है, तो आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?

जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनाई करते हुए कहा कि अभी इस मामले में फैसला नहीं किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि  इस मसले पर अगली सुनवाई 10 दिनों बाद होगी, तब तक इस फैसले पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट ने अपनी सुनवाई में यह भी कहा कि इसके पक्ष और विपक्ष जल्दी ही कोर्ट पूरी डिटेल सौंपे ताकि इस मामले की सुनवाई अच्छी तरह से हो सके।

बताते चलें कि इससे पहले कोर्ट ने 20 मार्च को एससी एसटी में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया था, जिसको लेकर ही देशभर में घमासान मचा हुआ है। ऐसे में इस मामले में सियासत जारी है, जिसकी वजह से देश का माहौल तनाव भरा हुआ है। बताते चलें कि सोमवार के बाद आज भी कई जगह हिंसा देखी गई, ऐसे में केंद्र सरकार पर चौ-तरफा दबाव है। दलितों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने उनकी बात को मजबूती से कोर्ट में नहीं रखा है, जिसकी वजह से उनके संरक्षण के लिए बनाये गये कानून को कमजोर कर दिया।

केंद्र सरकार ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि इस कानून की धारा 18 ही मजबूत है, ऐसे  में इसे कमजोर करने से ये कानून पूरी तरह से कमजोर हो जाएगा, क्योंकि इस धारा से दलितों को संरक्षण मिलता है, लेकिन अगर इसे खत्म किया जाएगा, तो  ये कानून सिर्फ नाम भर का ही रह जाएगा। दूसरी तरफ कोर्ट में वकील ने ये भी दलीले दी कि कानून में फेरबदल होने की वजह से देशभर में करोड़ो का नुकसान हुआ तो वहीं दूसरी तरफ कई लोगों की जान भी गई।

याद दिला दें कि कोर्ट के इस फैसले पर पार्टियां अपनी अपनी प्रतिक्रिया रख रही है, जिसकी वजह से केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती गई। हालांकि, संसद में राजनाथ सिंह ने कहा कि बीजेपी में सबसे ज्यादा नेता दलित समुदाय के है, और सरकार कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रही है, जिसक वजह से कोर्ट में सरकार अपनी बात मजबूती से रखेगी, लेकिन सरकार दलित विरोधी नहीं है।

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