अध्यात्म

जानिए क्यों महाभारत – कुरुक्षेत्र के एक भी योद्धा का देह नहीं मिला आज तक

दुनिया का सबसे बड़ा युद्ध ‘महाभारत’ कुरुक्षेत्र की भूमि पर द्वापर युग में हुआ है और इस युद्ध में पांडव पुत्रों ने धृत्‍राष्‍ट्र के सौ पुत्रों पर विजय हासिल की थी। इस महासंग्राम से कई तरह के रहस्‍य और कथाएं जुड़ी हुई हैं। जिनके बारे में वैज्ञानिक और अध्‍ययनकर्ता आज भी पता नहीं लगा पाए हैं।

कहते हैं कि इस युद्ध में हज़ारों-करोड़ों शूरवीरों का रक्‍त बहा था और इसीलिए कुरुक्षेत्र की मिट्टी का रंग आज भी लाल है। लेकिन इसके साथ सवाल ये उठता है कि अगर वाकई ये सब सच है तो उन शवों का क्या हुआ… जिन लोगों ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने प्राण गवाए थे उनके शवों का अंतिम संस्कार कैसे हुआ…? अगर अंतिम संस्कार नही हुआ तो नर कंकाल या किसी भी तरह का कोई अवशेष क्यो नही मिला.. जबकि उससे पूर्व सतयुग युग में श्रीराम द्वारा बनाए गए रामसेतु का प्रमाण वैज्ञानको ने खोज निकाला। वाकई ये सोचनीय बात है और आज हम कुरुक्षेत्र की भूमि के इस रहस्‍य के के बारे में बता रहे हैं।

महाभारत का युद्ध 18 दिनो तक चला था और माना जाता है कि महाभारत युद्ध में एकमात्र जीवित बचा कौरव युयुत्सु था जबकि 24,165 कौरव सैनिक लापता हो गए थे। दरअसल कुरुक्षेत्र में मारे गए योद्धाओं के शव इसलिए नहीं मिल पाए क्‍योंकि उस युग में मृत शवों के साथ भी दुर्व्‍यवहार नहीं किया जाता था। महाभारत के युद्ध में एक नियम का पालन किया जाता था कि दिन ढलने के बाद ही युद्ध को रोक दिया जाता था और जिन लोगों के शव भूमि पर पड़े होते थे उन्‍हें उनके परिवार को सौंप दिया जाता था। इन शवों के अंतिम संस्‍कार के बाद सिर्फ राख ही बचती थी।

किवदंती है कि जिस दिन पितामह भीष्‍म ने अंतिम सांस ली थी उस दिन कुरुक्षेत्र की भूमि को जला दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि युद्ध में मारे गए हर योद्धा केा स्‍वर्ग में जगह मिल सके और उनके शवों का शुद्धिकरण हो जाए और इस तरह इस युद्ध के सारे साक्ष्य हमेशा के लिए खत्म हो गए। वैसे महाभारत के युद्ध में बहुत कुछ हुआ था जिस पर विश्वास करना कठिन है। शायद यही वजह है कि आज भी बहुत से लोग इसे कल्पनाओं का परिणाम करार देते हैं।

 

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