राशिफल

आज नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा के पूजन से करें जीवन की हर समस्या का समाधान

आज नवरात्री का तीसरा दिन है। नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्री में माँ अपने सभी भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुन लेती हैं और उन्हें जल्दी ही पूरा करती हैं। जो भी व्यक्ति नवरात्री में माँ की पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा से करता है, माँ उसके जीवन की सभी तरह की समस्याओं का हल कर देती हैं। नवरात्री में माता के दरबार में भक्तों का ताँता लगा रहता है।

युद्ध में डंटे योद्धा की भांति है माता का रूप:

चंद्रघंटा देवी के बारे में कहा जाता है कि इनका आधिपत्य शुक्र ग्रह पर होता है। देवी चंद्रघंटा उस नवयोवन जीव की अवस्था को संबोधित करती हैं, जिसके अन्दर प्रेम का भाव जागृत हो तथा जो व्यसक की श्रेणी में आ गया हो। देवी चंद्रघंटा के स्वरुप के बारे में कहा जाता है कि यह चमकते हुए तारे की तरह है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में माँ चंद्रघंटा के रूप का वर्णन युद्ध में डंटे हुए योद्धा की भाँती किया गया है।

माँ चंद्रघंटा को वीररस की देवी कहकर भी पुकारा जाता है। माता का हर रूप शक्तिशाली और प्रभावशाली है। माता के मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से भी जाना जाता है। देवी अनेक रत्नों और आभूषणों से सजी हुई हैं और सिंह पर सवार होकर माता अपने दसो हाथों में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र लिए हुए असुरों के दिलों में खौफ पैदा करती हैं। माता के हाथ में खड्ग, अक्षरमाला, धनुष, बाण, कमल, त्रिशूल, तलवार, कमण्डल, गदा और शंख शुशोभित है।

माता की साधना से मिलता है जीवन का हर सुख:

माता चंद्रघंटा के गले में पुष्पमाला है। माता चंद्रघंटा की आराधना का सम्बन्ध शुक्र ग्रह से मन जाता है। कालपुरुष सिद्धांत की मानें तो इंसान की कुंडली में शुक्र का सम्बन्ध सातवें और दुसरे घर से होता है। इसलिए यह माना जाता है कि माता चंद्रघंटा की साधना से व्यक्ति के सुख-सुविधाएँ, सम्पन्नता, ऐश्वर्य, प्रेम, कामनाएं, सम्भोग और सुखी गृहस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। वास्तुपुरुष सिद्धांत के अनुसार देखा जाए तो माता का सम्बन्ध अग्नि तत्व से होता है।

मिलती है प्रेम में सफलता:

माता चंद्रघंटा कली दिशा दक्षिण-पूर्व है। घर में आग से सम्बंधित सभी कार्य इसी दिशा में होते हैं। माता की पूजा-उपासना के लिए सबसे अच्छा समय गोधुली वेला ही होती है। माता की पूजा में गुलाबी रंग के फूलों का प्रयोग करना चाहिए। माता को दूध चावल से बनी हुई खीर का भोग लगाना चाहिए। साथ ही साथ माता को इत्र और सुगन्धित द्रव्य अर्पित करना चाहिए। माता की उपासना करनें से व्यक्ति के जीवन से समस्याओं का अंत हो जाता है। अविवाहित लोगों का विवाह जल्दी हो जाता है। प्रेमी लोगों को प्रेंम में सफलता मिलती है।

मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

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