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भारतीय वायु सेना प्रमुख ने चेताया, पठानकोट जैसा हमला हो सकता है फिर से सेना के ठिकानों पर

बेंगलुरु: सेना के ठिकानों पर जैसा हमला पठानकोट में हुआ था, वैसा ही हमला आगे भी किया जा सकता है। हालांकि ये हमले किसी नई जगह पर करके आतंकवादी चौंका देंगे। यह कहना है भारतीय वायुसेना के प्रमुख बीएस धनोआ ने कही है। शनिवार के दिन उन्होंने एलएम खत्री स्मृति में व्याख्यान दिया था। आपको बता दें इस व्याख्यान का आयोजन एयरफोर्स एसोसिएशन, हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड और ऐरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के सहयोग से किया गया था।

आपको पिछले साल 2 जनवरी को पठानकोट के वायुसेना के अड्डे का आतंकवादी हमला तो याद ही होगा। इस हमले में 7 सैनिक शहीद हो गए थे, साथ में 10 आतंकवादी भी मारे गए थे। एयर चीफ मार्शल ने कहा पठानकोट हमले के बाद से भारतीय वायुसेना ने लगातार अपनी क्षमता में वृद्धि किया है, जिससे वह किसी भी तरह के आतंकी हमले का जवाब दे सकें। हमलों से निपटने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अब हम कम समय में मिली सूचना के बाद भी संघर्ष के लिए तैयार हैं।

चीन लगातार बढ़ा रहा है अपनी ताकत:

भारत की उत्तरी सीमा पर चल रहे संघर्ष के बारे में उन्होंने कहा कि सीमा रेखा के बारे में भारत और चीन की सोच अलग-अलग है। संघर्ष पैदा होने की सबसे बड़ी वजह यही है। डोकलाम विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि वास्तविक सीमा रेखा के कम से कम 10 किमी के दायरे में वायु क्षेत्र का उलंघन नहीं किया गया था। चीन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि तिब्बत के पास चीन लगातार अपनी हवाई उपस्थिति बढ़ाता रहता है और अपनी ताकत में वृद्धि करता रहता है।

चीन ने हमेशा से ही दुसरे देशों की सीमा में घुसपैठ की है। वह तिब्बत के हवाई क्षेत्र में घुसकर अपने विमानों से अभ्यास करता रहता है। उसकी मजबूती मौजूदा अभ्यास के हिसाब से घटती-बढ़ती रहती है। जो चीन और भारत के बीच डोकलाम विवाद को लेकर स्थिति बनी हुई है, उसी को लेकर उन्होंने अपने बयान दिए हैं। दोनों देशों के बीच अभी हालात ठीक हैं, जब दोनों ही देश पीछे हटने को तैयार हुए थे।

युद्ध जीतनें के लिए आयात करनें होंगे हमें भारी हथियार:

उन्होंने पाकिस्तान के ऊपर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकतर पक्षिमी देशों में देश की सरकार की हाथ में वहाँ कि सेना होती है, जबकि वहाँ सेना के हाथ में सरकार है। भारत की हथियार क्षमता के बारे में उन्होंने कहा कि हमें भारी हथियार आयात करनें की जरुरत है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम छोटे हथियारों के साथ दुश्मन के सामने टिक नहीं पाएंगे। हमें युद्ध जीतनें के लिए मजबूत, बड़े और शक्तिशाली हथियार खरीदनें की जरुरत है।

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