विशेष

लोगों का दिल जीतने के साथ-साथ बढ़ा रही हैं देश का मान ये बाइकिंग क्वीन

जम्मू: कौन कहता है कि महिलाएँ किसी से भी कम होती हैं? आज के इस दौर में महिलाएँ पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। कुछ क्षेत्रों में तो महिलाओं ने पुरुषों को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। आज की महिलाएँ चिकित्सा से लेकर, इंजीनियरिंग तक में नाम कम रही हैं। देश की कई महिलाएँ बड़ी-बड़ी कंपनियों के मुख्य पड़ पर भी बैठी हुई हैं, ऐसे में उन्हें कम समझने वाले शायद दिमाग से कमजोर होंगे।

जीत रही हैं देश का दिल:

अक्सर यह माना जाता है कि कुछ काम महिलाओं के बस का नहीं होता है, क्योंकि वह शारीरिक रूप से पुरुषों की अपेक्षा कमजोर होती हैं। वहाँ भी महिलाओं ने लोगों का भ्रम तोड़ते हुए वह मुकाम हासिल किया है, जिसके बारे में पुरुष सोच भी नहीं सकते। आज हम आपको देश की कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस समय देश का दिल जीत रही हैं।

लोगों ने दिल खोलकर किया स्वागत:

स्वतंत्रता दिवस के दिन लद्दाख के खारदुंग ला में, जो दुनिया के सबसे ऊँचे दर्रो में से एक माना जाता है, वहाँ तिरंगा फहराने के बाद बाइकिंग क्वींस जब लोगों के बीच पहुँची तो लोगों ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया। 56 महिलाओं के इस समूह ने एशिया के 10 देशों और भारत के कुल 12 राज्यों में 10000 किलोमीटर का सफ़र तय करके यह उपलब्धि हासिल की है। महिला बाइक सवारों ने पीएम मोदी के “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन और सशक्त नारी, सशक्त भारत का सन्देश देकर लोगों के दिलों में अपने लिए एक ख़ास जगह बना ली है।

मिशन शुरू करने में थी बहुत बहुत बड़ी चुनौती:

इस दल की अगुवाई सारिका मेहता कर रही थीं। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त को खारदुंग ला में भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लहराना किसी बड़े सपने के सच होने जैसा था। हम अपनी इस कोशिश के माध्यम से पुरे देश में महिला सशक्तिकरण का सन्देश देना चाहते थे। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह का मिशन शुरू करना हमारे लिए काफी बड़ी चुनौती थी। हमें शुरुआत में यह विश्वास नहीं था, कुछ ने यह भी कहा कि हम नहीं कर पाएंगे। लेकिन हमने फिर भी कोशिश की और सफल हो गए।

आज की महिलाओं ने बाघ को बदल दिया है बाइक में:

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने खारदुंग ला दर्रे पर दल की आगवानी की और उनकी प्रतिबद्धता की जमकर सराहना की। उन्होंने यह कहा कि ये महिलाएँ आधुनिक भारत की दुर्गा हैं। माँ दुर्गा उस समय बाघ की सवारी करती थी, लेकिन आज की ये महिलाएँ बाघ को बाइक में बदल कर सवारी कर रही हैं। हमारे देश में एक महिला का बाइक चलाना ही समाज के लिए एक बहुत बड़ा सन्देश है। इसलिए इस दल ने बाइक को ही अपने माध्यम के रूप में चुना।

Back to top button