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पिता अनपढ़ आटो ड्राइवर, अनपढ़ मां ने दूसरों के कपड़े धोए, बेटी ने बढ़ाई इज्जत, 10वीं किया टॉप

लोग कहते हैं पढ़ाई, खेलकूद या अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए परिवार का संपन्न होना जरूरी है, क्योंकि गरीब परिवार के बच्चे सुविधाओं के अभाव में संपन्न परिवार के बच्चो से मुकाबला नहीं कर सकते। लेकिन इस बात को कई होनहार बच्चों कई बार गलत साबित किया है। अब जयपुर की सुहानी शक्रवाल ने एक बार फिर इस बात गलत साबित किया है और ये स्थापित किया है कि गरीबी और कठिनाई को अगर तप में बदल दिया जाय और फिर कोई संकल्प लिया जाय तो उसका पूरा होना निश्चित है, कोई भी चीज इसमें रुकावट नहीं बन सकती।

अनपढ़ आटो ड्राइवर और अनपढ़ मां की संतान 15 साल की सुहानी शक्रवाल ने राजस्थान में 10वीं की परीक्षा में टॉप कर ना केवल अपने गरीब माता-पिता का मान बढ़ाया बल्कि गरीबी और अभाव में पल रहे दूसरे बच्चों के लिए मिसाल भी बन गईं। 10वीं की परीक्षा में 96 प्रतिशत नंबर लाकर उन्होंने अपने शहर और स्कूल का नाम भी रोशन कर दिया है।

सुहानी के ऑटो ड्राइवर पिता ने कड़ी मेहनत कर अपनी बेटी को स्कूल भेजा तो बेटी ने भी पिता की मेहनत की लाज रखी और पढ़ाई से कोई समझौता नहीं किया। कोरोना काल में जब ऑटो बंद हो गए थे तो परिवार को खाने के लाले पड़ गए थे। ऐसी स्थिति में सुहानी की मां ने दूसरों के घर कपड़े धोकर घर का किसी तरह खर्च चलाया।

कोरोना का काल परिवार के लिए काफी कठिन समय था, लेकिन परिवार ने हिम्मत नहीं हारी और मिलकर इस संकट को पार कर लिया। इस दौरान सुहानी ने पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम में भी अपनी मां की मदद की। इस कठिन दौर में भी वो नियमित रूप से अपनी पढ़ाई करती रहीं। कोरोना काल मे जब स्कूल बंद थे तो सुहानी ने मां को मोबाइल का उपयोग किया और ऑनलाइन पढ़ाई की।

सुहानी जयपुर के सी-स्कीम स्थित काशीबाई छगनलाल ढवेरी स्कूल में पढ़ती हैं। स्कूल के प्रिंसिपल देवेंद्र कुमार वाजा सुहानी की प्रतिभा से काफी प्रभावित हैं। पढ़ाई में तेज होने से सुहानी की स्कूल फीस शुरू से ही माफ रही है। सुहानी रोज 6 घंटे पढ़ाई जरूर करती हैं। 10वीं पास करने के बाद वो आगे की पढ़ाई कॉमर्स विषय के साथ करना चाहती हैं। उनका सपना सीए बनना है।

 

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