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अनुराधा पौडवाल ने समान कानून की बात उठाई, बोली-जगराते बंद हुए फिर लाउडस्पीकर पर अजान क्यों नहीं

बॉलीवुड गायक सोनू निगम के बाद अब अजान विवाद को लेकर गायक अनुराधा पौडवाल भी सुर्खियों में हैं। दरअसल, एक इंटरव्यू में अनुराधा पौडवाल ने कहा था कि वह कई देश घूमी हैं, जिस तरह लाउडस्पीकर पर अजान भारत में होती है, उस तरह कहीं उन्होंने होती नहीं देखी। मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान होती है, जिसकी वजह से बाकी लोग भी स्पीकर चलाते हैं। मिडिल ईस्ट में तो लाउडस्पीकर पर अजान बैन है। अब इसी बात को लेकर उन्होंने फिर अपना पक्ष रखा है।

अनुराधा पौडवाल ने रखा अपना पक्ष

अनुराधा पौडवाल ने कहा कि हमारे जितने भी जगराते हुए, वह बंद हो गये हैं। यह हमारी संस्कृति थी, लेकिन इसे बंद किया गया, क्योंकि 10 बजे के बाद लोगों को तकलीफ होती है। यहां पर मुद्दा यह नहीं कि कौन सा मजहब है। यहां तकलीफ लाउडस्पीकर है। अगर ये लोग बजाते हैं तो हम क्यों न बजाएं, ऐसे तो दुनिया एक मेला बन जाएगी। हर कोई भेड़चाल में चलने लगेगा।

कानून सबके लिए समान हो

अनुराधा पौडवाल ने कहा कि यहां हमें शांति से रहने की जरूरत है। एक-दूसरे को तकलीफ न हो, यह देखना है। मेरा इतना ही कहना है कि अगर एक कानून बनता है कि 10 बजे के बाद लोगों को तेज आवाज से तकलीफ होती है। इतने लोगों की रोजी-रोटी जगराते में गाकर चलती थी, लेकिन उसे बंद किया गया। किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई।

अगर एक कानून बनता है तो सबके लिए एक जैसा होना चाहिए। कर्नाटक ने बोला है कि कोई भी लाउडस्पीकर अगर चलाते हैं तो यह एक निर्धारित डेसिबल तक ही चला सकते हैं। मुझे लगता है कि यह एक अच्छी चीज है। 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद हो गए तो हमारी भी संस्कृति बंद हो गई। कानून सबके लिए एक जैसा हो।

जगराते बंद होने से कई लोगों की रोजी-रोटी गई

आजतक चैनल के साथ बातचीत में अनुराधा पौडवाल ने कहा कि जब हम बने हुए आर्टिस्ट्स के जगराते बंद हो गए तो छोटे-छोटे आर्टिस्ट कहां जाएंगे। वह तो उनकी रोजी-रोटी थी, लेकिन बंद हो गई। कानून होता है तो सबके लिए होना चाहिए। एक के जोर-जोर से बजे और दूसरे के लिए यह बंद ही हो जाए, यह गलत है। एक जगराते में 10-15 लोग शामिल होते थे, जब यह संस्कृति बंद हुई तो सोचिए कितने लोगों की रोजी-रोटी बंद हुई।

उन्होंने कहा मैं केवल एक खास धर्म की बात नहीं कर रही हूं। यहां धर्म को मत जोड़िए। हम हर चीज को धर्म से जोड़ देते हैं, यह धर्म की बात नहीं है। लॉजिकली देखा जाए तो डिस्टर्बेंस होता है तो यह अजान भी बंद होनी चाहिए, इससे अगर डिस्टर्बेंस नहीं होता है तो फिर हमारे जगराते भी शुरू होने चाहिए।

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