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जिस पत्नी की हत्या में पति ने सजा काटी वो 9 साल बाद जिंदा मिली, जानिए अब क्या कर रही है पुलिस

बिहार के गया से बेहद हैरत में डालने वाली घटना सामने आई है। घटना जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अबगिला की है। मामला बिहार पुलिस की लापरवाही से भी जुड़ा हुआ है। दरअसल, जिस पत्नी के अपहरण और हत्या के आरोप में पति को जेल में सजा काटनी पड़ी थी, उसे जिंदा बाजार में घूमता पाया गया। इस संबंध में पीड़ित पति विजय कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी उषा कुमारी अचानक भाग गई थी।

पत्नी के लापाता होने के बाद दर्ज हुआ था केस

पति की मानें तो पहले भी पत्नी कई बार घर से भाग कर पटना के मीठापुर स्थित अपने मायके चली जाती थी। लेकिन साल 2013 में वो भागी तो वो वापस नहीं आई। काफी खोजबीन भी किया गया, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला, जिसके बाद उषा के परिजनों द्वारा उसके, उसके छोटे भाई रणजीत कुमार और मां पर अपहरण व हत्या की प्राथमिकी मुफस्सिल थाना में दर्ज करा दी गई। लगातार 7 साल तक कोई पता नहीं होने पर पुलिस ने भी उसे मृत मान लिया।

ऐसे में इस मामले में पुलिस ने पति को आरोपी बताते हुए जेल भेज दिया। तीन महीने की सजा काट कर वह वापस लौटा था। मामला अभी कोर्ट में चल रहा था। पति का नाम विजय है जो राज मिस्त्री का काम करता है।

पूरा परिवार रहा परेशान

वहीं, देवर रणजीत कुमार ने बताया कि पुलिस द्वारा अनुसंधान से किसी तरह उसका नाम हटा। जबकि, महिला की सास को हाईकोर्ट से बेल लेना पड़ा था। मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। उसने बताया कि बीते दिनों उसकी बहन शाम को जब दूध लेने बाजार गई तो उसने अपनी भाभी को देखा, जिससे वो चौंक गई और घरवालों को जानकारी दी।

दूसरी शादी कर चुकी थी पत्नी

भाभी को देखने के बीद जब ननद ने उन्हें घर चलने को कहा तो उषा ने दूसरी शादी कर लेने की बात कही और घर जाने से इंकार कर दिया। इस बात की जानकारी जब मुफस्सिल थाना की पुलिस को मिली को महिला को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। फिलहाल उसे पुलिस अभिरक्षा में रखा गया है।

पुलिस ने क्या कहा?

वहीं, इस मामले पर गया एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि नौ साल पहले महिला की हत्या का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें पति को जेल भी भेजा गया था। अब महिला का कोर्ट में 164 का बयान दर्ज कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर लापता महिला सात सालों तक नहीं मिलती है, तो उसे मृत मान लिया जाता है। यहां तो नौ साल बाद वो मिली है। उस वक्त जो भी साक्ष्य मिले होंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की गई होगी। अब सही मामला सामने आया है तो उस अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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