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पहले मरा फिर बाद में हो गया जिन्दा, घटना जानकर नहीं रहेगा आपकी हैरानी का ठिकाना… देखें विडियो!

मंडी: अगर आपसे कहा जाये कि दैवीय शक्तियां होती हैं और वह कुछ भी कर सकती हैं तो आपको शायद यकीं ना हो। लेकिन इस घटना के बारे में जानकर आप यक़ीनन हैरानी से भर जायेंगे। किसी व्यक्ति को पहले दैवीय शक्तियों से मारा जाता है फिर बाद में उन्ही दैवीय शक्तियों की मदद से जिन्दा कर दिया जाता है। यह घटना हर 5 साल में एक बाद देव हुरंग नारायण मंदिर में घटती है। मंदिर में हर 5 साल बाद ‘काहिका उत्सव’ मनाया जाता है, इस दौरान बड़े-बड़े चमत्कार देखने को मिलते हैं।

हर पांच साल में एक बार होता है यह उत्सव:

आपको बता दें मंडी जिले के पधर उपमंडल के सुरहड़ गाँव में स्थित देव हुरंग मंदिर में यह उत्सव हर 5 साल में एक बार मनाया जाता है। इस उत्सव के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस उत्सव को मानाने से उनके इलाके में शांति और शुद्धि बनी रहती है। लोगों का मानना है कि अगर भूल से ही सही लेकिन अगर किसी व्यक्ति से कोई पाप हो जाता है तो उसे मुक्ति भी इसी काहिका उत्सव के दौरान ही मिलती है।

उत्सव के आखिरी दिन देखने को मिलता है चमत्कार:

इसे स्थानीय भाषा में ‘छिद्रा’ कहा जाता है। इस उत्सव के दौरान कुछ ऐसी रश्मों को निभाया जाता है जिसे किसी को भी कवर करने की इजाजत नहीं होती है, भले ही वह मीडिया ही क्यों ना हो। यह उत्सव तीन दिनों तक चलता है। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण आखिरी दिन ही देखने को मिलता है। आखिरी दिन देव हुरंग नारायण का रथ मंदिर से निकलता है और पुरे इलाके की परिक्रमा करता है। शाम को जब सूर्य ढलने को होता है, उस समय यहाँ कुछ मुख्य रश्में निभाई जाती हैं। नड पंडित जाती के किसी एक व्यक्ति का देवता की तरफ से चयन किया जाता है।

निकाली जाती है व्यक्ति की शवयात्रा:

चयन करने के बाद उस व्यक्ति को दैवीय शक्तियों से मूर्छित किया जाता है। उसके मूर्छित होने के बाद उसे मरा हुआ ही मान लिया जाता है। इसके बाद उस व्यक्ति की शवयात्रा को जौ का आटा उड़ाते हुए पुरे गाँव में निकला जाता है। शवयात्रा पूरी होने के बाद पुनः शव को गाँव में ले जाया जाता है, उसके बाद मंदिर का पुजारी उस मरे हुए व्यक्ति के कान में धीरे से कहता है कि उसे देवता बुला रहे हैं। इसके बाद वह मूर्छित पड़ा हुआ व्यक्ति फिर से जीवित हो जाता है। ऐसा मन जाता है कि अगर वह नड़ पंडित जिन्दा ना हुआ तो मंदिर की करोड़ो की संपत्ति उसके परिवार को दे दी जाएगी।

जब तक यह घटना होती है, यहाँ आये हुए श्रद्धालु और देवता के पुजारी कैमरे पर कुछ नहीं बोलते हैं। इस दौरान रिकॉर्डिंग करने की भी इजाजत नहीं दी जाती है। मंडी के वरिष्ठ लेखक बीरबल शर्मा ने बताया कि व्यक्ति के मरने और जिन्दा होने का कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं होता है, लेकिन लोग आस्था समझकर ऐसा करते हैं। हालाँकि कुछ लो इसपर यकीं नहीं करते हैं। आज के युग में इन सब बातों पर आसानी से यकीं करना थोडा मुश्किल होता है। आपको बता दें यह उत्सव मंडी और कुल्लू के अलावा अन्य कई जगहों पर भी मनाया जाता है।

विडियो देखें-

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