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मोदी ने लड़कियो की शादी की उम्र को लेकर कहा – किसको इससे तकलीफ हो रही है, ये सब देख रहे हैं.

Prime Minister Modi in Prayagraj :
जहां एक तरफ सरकार के नए फैसले , लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाए जाने की संसद और पूरे देश में चर्चा हो रही थी, वहीं पीएम मोदी (PM Modi) ने फैसले का विरोध कर रहे नेताओं को प्रयागराज की धरती से जवाब दिया है ।

narendra modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने प्रयागराज (Prayagraj) में आयोजित महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में कहा कि बेटियां भी चाहती थीं कि उन्हें उनकी पढ़ाई लिखाई के लिए, आगे बढ़ने के लिए समय मिले, बराबर अवसर मिलें.

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इसलिए बेटियों के लिए शादी की उम्र को 21 साल करने का प्रयास किया जा रहा है. देश ये फैसला बेटियों के लिए कर रहा है, लेकिन किसको इससे तकलीफ हो रही है, ये सब देख रहे हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने यूपी की महिलाओं को जो सुरक्षा दी है, जो सम्मान दिया है, उनकी गरिमा बढ़ाई है, वो अभूतपूर्व है. बेटियां कोख में ही ना मारी जाएं, वो जन्म लें, इसके लिए हमने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के माध्यम से समाज की चेतना को जगाने का प्रयास किया.

Narendra

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की विकास को बताते हुई कहा की उत्तर प्रदेश में विकास के लिए, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो काम हुआ है, वो पूरा देश देख रहा है. अभी मुझे यहां मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की 1 लाख से ज्यादा लाभार्थी बेटियों के खातों में करोड़ो रूपये ट्रांसफर करने का सौभाग्य मिला.

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यूपी सरकार ने बैंक सखियों के ऊपर 75 हजार करोड़ रुपये के लेनदेन की जिम्मेदारी सौंपी हैं. 75 हजार करोड़ रुपये का कारोबार गांवों में रहने वाली मेरी बहनें-बेटियां कर रही हैं. उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने, माताओं-बहनों-बेटियों ने ठान लिया है- अब वो पहले की सरकारों वाला दौर, वापस नहीं आने देंगी.

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पीएम मोदी ने बताया की आज देश की यह सूरत है की आज अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है ।प्रसव के बाद भी बिना चिंता के अपने बच्चे की शुरुआती देखरेख करते हुए मां अपना काम जारी रख सके. इसके लिए महिलाओं की छुट्टी को 6 महीने किया गया है।

पिछले कई दशकों तक ऐसी व्यवस्था रही कि घर और घर की संपत्ति को केवल पुरुषों का ही अधिकार समझा जाने लगा. घर है तो किसके नाम? पुरुषों के नाम. खेत है तो किसके नाम? पुरुषों के नाम. नौकरी, दुकान पर किसका हक? पुरुषों का.

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