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डोकलाम विवाद – भारत और भूटान में ‘जंग’ के लिए चीन ने चली ये चाल!

नई दिल्ली पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बाद भारत व अमेरिका के बीच बढ़ते दोस्ताना संबंधों से चीन बौखलाया हुआ है और वह भारत को कमजोर करने के लिए रोज नई-नई चाल चल रहा है। इसी वजह से चीन ने एक बार फिर चीन-भूटान-भारत सीमा को हवा दी है। Agenda of china behind doklam issue.

क्या है डोकलाम विवाद :

चीन ने सिक्कम सेक्टर के विवादित इलाके डोकलाम पर एक बार फिर अपना दावा किया है। डोकलाम पर भूटान के दावे को नकारते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने इस विवादित इलाके में चीनी सैनिकों द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण कार्य को जायज ठहराया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा है कि, ‘हमने कई बार कहा है कि डोकलाम चीन का है और जिस इलाके में सड़क बनाई जा रही है, वह चीन की सीमा के अंदर आता है।’ लू ने आगे कहा है कि, ‘1960 के दशक में बॉर्डर पर रहने वाले भूटान के लोगों को यहां अपने मवेशी चराने के लिए चीन ने इजाजत दी थी। इसलिए वो हमारा है।’

क्या है डोकलाम विवाद में भारत की भूमिका :

डोकलाम में सड़क बनाने को लेकर भूटान और चीन में जो विवाद है, उसका सीधा संबंध भारत से नहीं है। दरअसल, डोकलाम को भूटान अपना क्षेत्र मानता है और चीन उस पर दावा करता है। चीन इस बात की उम्मीद कर रही था कि भारत इस मसले में भूटान के साथ नहीं देगा। लेकिन, भारत ने भूटान के डोकलाम पर दावे को हमेशा अपना समर्थन दिया है। चीन को इस बात का अंदाजा था कि अगर वह डोकलाम के मुद्दे को उठायेगा तो इसका असर भारत-चीन सीमा पर भी पड़ेगा। इसलिए उसने इस मुद्दे को इस वक्त भारत पर दवाब डालने के लिए उठाया है।

 डोकलाम विवाद में ये है चीन की रणनीति : 

चीन की रणनीति हमेशा से खाली इलाकों में अपने सैनिकों को भेजना और फिर वहां कब्जा करना रहा है। जिसके कारण साल 1962 में भारत से चीन का युद्ध हुआ था। इस मुद्दे को उठाकर चीन, भारत और भूटान को अलग करना चाहता है। इस चाल के पीछे चीन की यह भी सोच हो सकती है कि भूटान खुद को इस मामले से अलग कर लेगा और जिससे भारत उससे दूर होकर चीन के करीब हो जाएगा।

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