राजनीति

मोदी सरकार ने इस वजह से तीनों कृषि कानून को वापस लिया, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद भी प्रदर्शन क्यों जारी है, पढ़िए इस रिपोर्ट में

केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। आखिर नरेंद्र मोदी सरकार ने इस फैसले को क्यों वापस लिया, इस बारे में एक नया खुलासा हुआ है। यह खुलासा सरकार के उच्च पद पर कार्यरत सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर हुआ है।

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आपको बता दें कि यह कृषि कानून संसद में पेश होते ही विवादों में आ गया था। हालांकि केंद्र सरकार ने इसे अपनी संख्या बल पर संसद में तो पास करा लिया और इस बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर भी कर दिया और कृषि कानून भी बन गया।

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संसद में संख्या बल पर केंद्र सरकार ने यह बिल तो पास करा लिया लेकिन विपक्ष और कुछ किसान संगठनों ने इस पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस कानून को निरस्त करने का मांग तूल पकड़ने लगा। अपनी मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले कुछ किसानों ने राकेश टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली के आसपास सड़कों को जाम कर दिया।

राकेश टिकैत ने पूरे देश में घूम-घूम कर इस कानून के खिलाफ आवाजें बुलंद की। इसका परिणाम यह हुआ कि जगह जगह पर लोग सड़कों पर बैठ गए और इस कानून को वापस लेने की मांग होने लगी,

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लेकिन शुरुआत में सरकार बिल्कुल अपने फैसले से टस से मस नहीं हुई। किसान लगातार एक साल तक सर्दी गर्मी बरसात और धूप की मार सहते सहते अपने प्रदर्शन को जारी रखे थे, ऐसे में किसानों के इन परेशानियों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का फरमान जारी कर दिया।

मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को क्यों वापस लिया ?

सरकार के उच्च सूत्रों से बात करने पर इस कानून को वापस लेने के फैसले के पीछे के कारणों का पता चला। सूत्रों ने बताया कि इन तीन कृषि कानूनों पर पहले से ही रोक लगी हुई थी। कृषि कानूनों को लेकर किसान एक साल से सर्दी गर्मी में परेशान होकर, बारिश की मार झेलते हुए, ठंड में ठिठुरते हुए प्रदर्शन कर रहे थे, और इन्हें विपक्षी पार्टियां गुमराह कर रही थीं।

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ऐसे में यह भोले-भाले किसान विपक्षी पार्टियों के झांसे में न आएं और इनको आगे चलकर सर्दी गर्मी की मार न झेलनी पड़े, इसी मानवीय आधार पर सरकार ने इस कानून को वापस लेने का फैसला किया।

सरकार के सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने मानवीय आधारों पर यह फैसला लिया है और सरकार ने यह भी तय किया है कि भविष्य में इन बातों का विशेष ख्याल रखा जाएगा जिससे इस तरह के हालात दोबारा ना बने।

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हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद भी किसान संगठन आंदोलन करने पर तुले हुए हैं और एमएसपी के मुद्दे पर उन्होंने यह प्रदर्शन भविष्य में भी जारी रखने का फैसला किया है।

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