अध्यात्म

आखिर क्यों मृत्यु होने पर 13 ब्राह्मणों को कराते हैं भोजन, मृतक के लिए भी परसी जाती है थाली, जानें

मृत्यु के बाद जीवन है या नहीं इसे लेकर कई तरह की धारणाएं हैं। मरने के बाद आत्मा का क्या होता है? वह कब परलोक जाती है? कैसे जाती है? इन सबको लेकर लोगों के मन में कई सवाल रहते हैं। गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में इन सवालों के जवाब दिए हुए हैं। इसके अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसके बाद कुछ खास रस्में की जाती हैं। ऐसा न किया जाए तो मरने वाले की आत्मा कई दिनों तक भटकती रहती है। वहीं पूर्वज फिर हमे आशीर्वाद भी नहीं देते हैं। घर में एक के बाद एक मुसीबतें आती रहती हैं।

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किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद कई तरह के संस्कार किए जाते हैं। इसमें तेरहवीं ब्राह्मण भोज (Brahmin Bhoj) कराना भी शामिल है। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि व्यक्ति की तेरहवीं पर 13 ब्राह्मणों को भोजन क्यों कराया जाता है? इसके पीछे आखिर क्या वजह हो सकती है? चलिए जानते हैं।

इसलिए होता है पिंडदान

Pind Daan

गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी शख्स की मौत होती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने घर में ही मंडराती रहती है। दरअसल इन 13 दिनों तक आत्मा के पास इतनी शक्ति नहीं होती है कि वह अकेले यमलोक तक का सफर कर सके। ऐसे में 10 दिनों तक पिंडदान (Pind Daan) कर आत्मा को शक्ति प्रदान की जाती है।

Pind Daan

पिंडदान के पश्चात उसमे इतनी शक्ति आ जाती है कि वह अकेले यमलोक तक जा सके। दस दिन के बाद अगले तीन दिनों में आत्मा बहुत सूक्ष्‍म आकार धारण कर लेती है। इसके बाद उसमें यमलोक तक जाने की ताकत आ जाती है और वह अपने सफर पर निकल पड़ती है। बस यही वजह है कि मौत के 13 दिनों बाद तेरहवीं की जाती है, जब तक आत्‍मा अपनी यात्रा पर निकल चुकी होती है।

13 ब्राह्मणों को भोजन क्यों कराया जाता है?

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यदि हम मृत व्यक्ति का पिंडदान न करें तो यमदूत स्वयं आकर आत्‍मा को यमलोक तक लेकर जाते हैं। हालांकि ऐसा होने पर यात्रा के दौरान आत्मा को बहुत कष्ट होता है। उसकी इस यात्रा को आसान बनाने के लिए ही सभी संस्‍कार किए जाते हैं। आप ने ये भी देखा होगा कि कई लोग 13वीं पर 13 ब्राह्मणों को भोजन भी कराते हैं। दरअसल ऐसा आत्मा की शांति के लिए कराया जाता है। आत्मा 13 दिनों तक घर में रहती है, इस कारण 13 ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है।

मृतक के लिए भी लगती है थाली

शख्स की मौत के बाद अगले 13 दिनों तक उसकी थाली भी लगाई जाती है। ऐसा मृतक के सम्‍मान में किया जाता है। चुकी उसकी आत्मा भी 13 दिनों तक घर में ही रहती है तो उसे यह थाली लगाकर मान सम्मान दिया जाता है। उसे घर के बाकी सदस्यों की तरह ही ट्रीट किया जाता है।

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