अध्यात्म

हिमाचल में स्थित है देश का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, यहां पर लगे पत्थरों से निकलती है डमरू की आवाज

हिमाचल प्रदेश में स्थित जटोली शिव मंदिर बेहद ही खास है। मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने निवास किया था। ये देश का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी माना जाता है। ये मंदिर 122 फुट की ऊंचाई पर है और यहां तक पहुंचने के लिए काफी चढ़ाई चढ़नी होती है। सावन के महीने में दर्शनार्थियों का तांता यहां लग जाता है और दर्शन करने में घंटों का वक्त लगता है।

हिमाचल के सोलन में बना जटोली शिव मंदिर एक पहाड़ी पर है। इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली से किया गया है। इसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है।  मंदिर के ऊपर 11 फुट का विशाल सोने का कलश भी स्थापित किया गया है। इस मंदिर के पास ही एक जलकुंड भी है। ये जलकुंड सदा पानी से भरा रहता है। गर्मी के मौसम में भी ये सूखता नहीं हैं।

इस मंदिर की दिवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई है। जबकि अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा यहां भगवान शिव के साथ माता पार्वती की मूर्तियां भी हैं। मंदिर में लगे पत्थरों से एक खास आवाज भी आती है। जो कि डमरू जैसी होती है। यहां के स्थानिय लोगों के अनुसार इस जगह पर भगवान शिव आकर रुके थे और जो आवाज पत्थरों से आती है वो डमरू बजने की होती है।

जलकुंड की कहानी

मंदिर के पास ही एक जलकुंड है और इस जल कुंड से भी एक कहानी जुड़ी हुआ है। साल 1950 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के संत यहां आए थे। उस समय सोलन में पानी की कमी चल रही थी। पानी की कमी के कारण लोग काफी परेशान हो रहे थे। ऐसे में स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने घोर तपस्या की और अपने त्रिशूल से प्रहार कर इस जलकुंड का निर्माण किया। त्रिशूल को जमीन पर मारते ही जलधारा फूट पड़ी। उसी से यहां ये जलकुंड बनाकर तैयार हुआ।

ये जल कुंड अब तक एक बार भी सूखा नहीं है और सदा पानी से भरा रहता है। जो लोग यहां आकर इस जलकुंड के पानी से एक बार स्नान कर लें। उनको रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

39 साल में बनकर हुआ तैयार

जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य संत कृष्णानंद के मार्गदर्शन पर किया गया था। साल 1974 में उन्होंने इस मंदिर की नींव रखी थी। हालांकि इन्होंने साल 1983 में समाधि ले ली थी। इनके जाने के बाद मंदिर बनाने का काम मंदिर प्रबंधन कमेटी द्वारा संभाला गया। वहीं इस भव्य मंदिर को बनने में करीब 39 साल का वक्त लग गया।

भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में सोमवार और सावन के दौरान खास भीड़ होती है। ज्यादा भीड़ होने के कारण दर्शन करने में अधिक समय लग जाता है और लाइनों में घंटों तक खड़े रहना पड़ता है।

कैसे जाएं

सोलन सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। जबकि चड़ीगढ़ तक आसानी से हवाई जहाज के जरिए पहुंचा जा सकता है। यहां से आप बस या टैक्सी करके सोलन जा सकते हैं। मॉनसून के समय हिमाचल में काफी बारिश होती है। इसलिए जुलाई और अगस्त के महीने में इस जगह पर जाने से बचें।

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