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केजरीवाल सरकार को अब हर फैसले से पहले लेनी होगी LG से मंजूरी, राजधानी में लागू हुआ GNCTD बिल

राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) कानून 2021 यानी जीएनटीसीडी एक्ट को मंजूरी मिल गई है और इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। जिसके साथ ही ये कानून 27 अप्रैल से प्रभावी हो गया है। इस कानून का सीधा असर दिल्ली सरकार पर पड़ेगा और अब दिल्ली सरकार को हर फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल की सहमति लेनी होगी। यानी बिना उपराज्यपाल की सहमति लिए दिल्ली सरकार कोई भी कार्य नहीं कर सकेगी।

इस कानून के बाद दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल के पास दिल्ली सरकार से ज्यादा शक्तियां होंगी। केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधन के अनुसार, अब दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल के पास विधायी प्रस्ताव कम से कम 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्ताव कम से कम 7 दिन पहले भेजना होगा। हर फैसला उपराज्यपाल से मंजूरी लेने के बाद ही किया जाएगा।

गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021, 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है। अब उपराज्यपाल (एलजी) की मंजूरी के बिना कार्यकारी कोई कदम नहीं उठा सकता है। अधिसूचना के अनुसार दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा। दिल्ली सरकार को किसी भी फैसले से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी पड़ेगी।

गौरतलब है कि 22 मार्च को ये बिल लोकसभा में से पास हुआ था। जिसके बाद 24 मार्च को राज्यसभा में इसे पारित किया गया था। वहीं 28 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। राज्यसभा में बिल पास होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले को दिल्ली की जनता का अपमान बताया था। इन्होंने कहा था कि लोकतंत्र के लिए ये बेहद बुरा दिन है। हम सत्ता की ताकत को जनता के हाथ में रखने की अपनी कोशिशों को जारी रखेंगे। चाहे जैसी भी रुकावट हो, हम अच्छा काम जारी रखेंगे और ये न रुकेगा, न धीमा पड़ेगा।

जबकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा था, ‘आज लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है।’ उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए दुखद दिन करार दिया था।’ वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसे मोदी सरकार की मनमानी करार दिया था।

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