अध्यात्म

खरमास के दौरान गधों के रथ पर करते हैं सूर्यदेव सवारी, पढ़ें पौराणिक कथा

जब सूर्य गुरु बृहस्पति देव की राशि धनु या मीन में आते हैं। तब खरमास लग जाता है। इस दौरान मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। पंचांग के अनुसार 14 मार्च को फाल्गुन मास का शुक्ल पक्ष शुरू हो गया है। जिसके साथ ही खरमास का आरंभ भी हो गया है। जो कि 17 अप्रैल तक रहने वाला है। खरमास के दौर विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

पौराणिक मान्यता में खरमास को शुभ नहीं माना गया है और इस मास से एक कथा भी जुड़ी हुई है। जो कि इस प्रकार है। भगवान सूर्य देव ब्रह्मांड की परिक्रमा अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर कर रहे थे। सूर्य देव बिना रूके ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। लगातार परिक्रमा करते हुए इनके रथ के घोड़े एक दिन थक जाते हैं। ऐसे में सूर्य देव अपने घोड़ों को तालाब के किनारे ले जाते हैं। लेकिन जैसे ही वो किनारे पहुंचते हैं। तो उन्हें ये आभास होता है कि उनका रथ रुक गया तो अनर्थ हो सकता है। लेकिन घोड़ों को प्यास भी लगी थी। तभी सूर्य देव की नजर तालाब के किनारे दो खर पड़ती है।

ऐसे में सूर्य देव अपने घोड़ों को तालाब के पास छोड़ देते हैं। ताकि वो अच्छे से आराम कर सकें और खर यानी गधों को रथ में जोड़कर परिक्रमा करने शुरू कर देते हैं। मगर गधे और घोड़े की गति में बहुत अंतर होता है और सूर्य देव को 1 मास का समय चक्र पूरा करने लग जाता है। वहीं चक्र पूरा होने के बाद सूर्य देव वापस से तलाब पर आते हैं और अपने घोड़ों को वापस से रथ पर बांधकर अपनी परिक्रमा शुरू कर देते हैं। इस दौरान इनके घोड़ों को आराम मिल जाता है। ये क्रम इसी तरह चलता है। हर सौरवर्ष में 11 सौरमास को खरमास कहा जाता है।

जरूर करें ये काम

  • खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। खरमास में भगवान का स्मरण करें। सुबह शाम विष्णु जी की पूजा करें।
  • शास्त्रों के अनुसार, यदि आप खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।
  • इसके अलावा सूर्य देव का भी पूजन जरूर करें। जिन लोगों के जीवन में सूर्य से संबंधित परेशानी बनी हुई है। वे खरमास में सूर्य देव की उपासना करें। इससे सूर्य संबंधी दोष दूर होता है।
  • खरमास में इष्ट देवता की पूजा करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • इस दौरान ब्राह्मण, गुरू और साधुओं की सेवा करनी चाहिए। इसके साथ ही गौ माता की सेवा करना बहुत शुभ फलदायक होता है।

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