अध्यात्म

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए कर दें ये काम, बन जाएगी मां की कृपा…

 

इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व आ रहा है। बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। हर साल ये पर्व माघ माह शुक्ल की पंचमी तिथि के दिन आता है। मां सरस्वती को संगीत व विद्या की देवी माना जाता है। इसलिए छात्राओं को विशेष रूप से इनकी पूजा करने की सलाह दी जाती है। बसंत पंचमी के विधि-विधान से मां की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना भी पूर्ण हो जाती हैं। बसंत पंचमी तिथि का प्रारंभ 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट से हो जाएगा। जो कि 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

इस तरह से करें मां की पूजा

  • इस दिन सुबह नहाने के बाद श्वेत अथवा पीले वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मंदिर में मां की मूर्ति को चौंकी पर स्थापित करें। इस चौंकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछा लें। उसके बाद विधिपूर्वक कलश स्थापित करें।
  • मां को श्वेत फूल-माला अर्पित करें और सिन्दूर व अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी मां को चढ़ा दें।
  • वसंत पंचमी के दिन माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित करना शुभ माना जाता है। वहीं प्रसाद में माँ को पीले रंग की मिठाई या खीर ही चढ़ाएं।
  • पूजा का संकल्प लें और दीपक जला दें। फिर  ”ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें।

अगर आपकी कोई मनोकामना है जो कि पूर्ण नहीं हो रही है। तो आप मां को उनकी पसंदीदा चीजें चढ़ाएं। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है। ये रंग मां सरस्वती को प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र मां को अर्पित करें। इसके अलावा केसर और पीला चंदन का तिलक भी मां को लगाएं और पीले रंग के पुष्प मां सरस्वती अर्पित करें। ये तीनों चीजें मां को चढ़ाने से आपकी हर कामना को मां पूर्ण कर देंगी और जो आप चाहते हैं, वो आपको मिल जाएगा।

इस दिन न करें ये काम

बसंत पंचमी का दिन काफी शुभ माना जाता है और इस दिन किसी भी कार्य की शुरूआत आप कर सकते हैं। शादी, सगाई, गृह प्रवेश जैसे शुभ काम इस दिन किए जा सकते हैं। हालांकि ऐसी कुछ चीजें हैं, जिन्हें बसंत पंचमी के दिन करना वर्जित माना गया है।

1. बसंत पंचमी के दिन किताब की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन आप किताबों को पढ़ें नहीं।

2.प्याज और लहसुन खाने से बचें।

3. झूठ न बोलें।

4. मुंह से गलत बातें न निकालें।

मां की आरती

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।> सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..> चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

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