अध्यात्म

नागा साधुओं द्वारा बनाया गया था कंकाली मठ, साल में केवल एक दिन ही खुलते हैं इसके कपाट

नागा साधु एक रहस्यमय जिंदगी जीते हैं और इनका इतिहास काफी पुराना है। आज हम आपको नागा साधुओं से जुड़े एक अनोखे मठ के बारे में बताने जा रहे हैं। जो कि साल में केवल एक दिन ही खुलता है। इस मठ में देवी मां की मूर्ति स्थापित है और हर साल केवल एक दिन ही मां की पूजा की जाती है। इस मठ का नाम कंकाली है। जो कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ब्राह्मणपारा में स्थित है।

इस मठ में जिस मां की मूर्ति स्थापित है उन्हें मां कंकाली कहा जाता है और इनके नाम पर ही ये मठ जाना जाता है। मान्‍यता है कि मां कंकाली की प्रतिमा नागा साधुओं द्वारा ही मठ में स्थापित की गई थी। बाद में इसे मंदिर में स्थानांतरित किया गया था। इस मठ को हर साल केवल दशहरा के दिन ही खोला जाता है। लगभग 400 सौ वर्षों से ये परंपरा चलाई जा रही है।

इस मंदिर में नागा साधुओं के शस्‍त्र भी रखे गए है। ये शस्‍त्र हजारों साल पुराने हैं। इसमें तलवार, फरसा, भाला, ढाल, चाकू, तीर-कमान आद‍ि शाम‍िल हैं। भक्त इन शस्त्रों के दर्शन दशहरा के दिन कर पाते हैं। मान्यता है कि मां कंकाली दशहरा के दिन वापस मठ में आतीं हैं और इसी कारण से इस दिन मठ को खोला जाता है। मठ खोलने के बाद रात्रि को पूजा की जाती है और उसके बाद एक साल के लिए मठ के द्वार फिर से बंद कर दिए जाते है।

इस मठ के पास एक तालाब भी है। जिसे कंकाली तालाब के नाम से जाना जाता है। इस तालाब के बारे में कहा जाता है कि इसके पानी से स्नान करने से रोगों से मुक्ति मिल जाती है और चर्म रोग दूर हो जाता है। जिसकी वजह से त्वचा संबंधी परेशानी होने पर लोग इस तालाब में स्नान करने के लिए आते हैं। कंकाली तालाब पर कई शोध भी किए गए हैं। जिसमें ये बात सामने आई है क‍ि हड्डी के फास्फोरस अंश के घुलने की वजह से ही इस तालाब में नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

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