राजनीति

कृषि कानून पर किए सवाल पर अर्णव गोस्वामी पर भड़की प्रियंका राणा, कहा किसी की नहीं सुनूंगी

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कृषि कानूनों पर कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है. सरकार और किसानों के बीच का विवाद अभी सुलझा भी नहीं था कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने इन कानूनों को प्रगतिशील बताते हुए किसानों के लिए फायदेमंद बताया है.

इसी मुद्दे पर एक निजी टीवी पर डिबेट के दौरान कृषि कानूनों के वापसी की मांग कर रही पैनलिस्ट प्रियंका राणा भड़क उठी. उन्होंने यह तक कह डाला कि हम किसी भी तरह से आईएमएफ की बात से सहमत नहीं है. साथ ही कहा IMF की किसी भी बात को नहीं सुना जाएगा.

प्रियंका राणा के इस जवाब पर टीवी एंकर ने उन्हें घेरते हुए सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून को रद्द कर दिया है तो दिल्ली बॉर्डर पर जो अभी प्रदर्शन हो रहा है, वह क्यों हो रहा है. मतलब जो कानून है नहीं उसका विरोध क्यों हो रहा है. आप किसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे है. ऐसा पहली बार हो रहा होगा जो कानून है नहीं उसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा है.

न्यूज़ एंकर के इस सवाल का गुस्से से प्रियंका ने जवाब देते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तो पूरा देश उलझन में है. आप परेशान हैं, क्योंकि आपको यही नहीं पता कि धरने पर कौन बैठा है. आपको पता नहीं कि वो पाकिस्तानी है, आतंकवादी है या खालिस्तानी है. इस मसले पर दुनिया किसी उलझन में नहीं है. ये किसान जो आज सड़कों पर बैठा है इसी किसान ने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया है.

इतना ही नहीं एक बार कार्यकाल खत्म होने के बाद दोबारा बड़े बहुमत से फिर पीएम बनाया. ये किसान अगर अपनी पर आ जाय तो कुछ भी कर सकता है. अगर कानून वापस नहीं लिया गया तो चुनाव में इसके परिणाम दिख सकते है.

आपको बता दें कि कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच अब तक कई बार बैठक हो चुकी है, लेकिन हर मीटिंग बेनतीज़ा निकली है. इसके बाद कोर्ट ने मामले में दखल देते हुए 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी. इतना ही नहीं अदालत ने इस मामले में विवाद को खत्म करने के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था.

इन नेताओं ने की थी चर्चा
गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री तथा पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की थी, लेकिन यह चर्चा भी बेनतीज़ा रही.

आपको बता दें कि किसान अपनी बात मनवाने के लिए अब 26 जनवरी को एक विशाल ट्रेक्टर रैली का आयोजन करने जा रहे है. किसान संगठनों का कहना है कि वो दिल्ली की सीमाओं से लाल किले तक इस रैली को निकालेंगे, इस रैली को रुकवाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है. सरकार ने अपनी अर्जी में इस रैली को रोकने के लिए कहा है.

ज्ञात हो कि विवादित कृषि कानून को सरकार ने बड़े कृषि सुधारों के तौर पर पेश किया था. देश में इनके पेश होने के बाद से ही किसानों द्वारा इसका विरोध जारी है.

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