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सचिन बर्थडे स्पेशलःएक ऐसा खिलाड़ी जो लाखों लोगों की दुनिया है और जिसका क्रिकेट में नाम भगवान है

कोरोना के कारण सचिन नहीं मनाएंगे जन्मदिन का जश्न, लोगों को घरों में रहकर खुद को सुरक्षित रखने की अपील की है

सचिन….सचिन….सचिन…सचिन…..ये सिर्फ क्रिकेट जगत में एक नाम नहीं है ये प्रेरणा है उन लोगों केलिए  जिन्होंने इस नाम का गौरव देखकर क्रिकेट में करियर बनाने का फैसला किया। क्रिकेट जगत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आज यानि की 24 अप्रैल को अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। सचिन एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके पूरी दुनिया में फैंस मिलेंगे, लेकिन इनसे नफरत करने वाला एक भी इंसान नहीं मिलेगा। 24 साल के करियर में कई रिकॉर्ड दर्ज करने और तोड़ने वाले सचिन रेमश तेंदुलकर के जीवन के बहुत से ऐसे पड़ाव हैं जिसने उन्हें क्रिकेट का भगवान बना दिया। आज उनके जन्मदिन पर आपको बताते हैं कि कैसे लिटिल मास्टर बने क्रिकेट वर्ल्ड के भगवान।

12 साल की उम्र में तय कर ली थी मंजिल

सचिन तेंदुलकर ने 15 नंवबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहले मैच के बाद सचिन ने कभी मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने अपने करियर में 200 टेस्ट और 463 वनडे खेले। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक लगाने वाले वो एकलौते खिलाड़ी हैं और आज तक उनका ये रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है। 2013 में वनडे से सन्यास लेने वाले सचिन के नाम 49 शतक समेत 18,426 रन हैं। सचिन क्रिकेट से कितना प्यार करते हैं ये उनके टेस्ट और वनडे में सर्वाधिक मैच,रन और शतक से ही पता लगाया जा सकता है।

सचिन बचपन से ही क्रिकेट में ही लगे रहते थे। वो पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे। उनका कहना था कि किकेट उनका पहला प्यार है और वो इसे बहुत इंज्वाय करते हैं। सचिन सारा दिन अपने घर की बिल्डिंग के सामने क्रिकेट खेलते रहते थे। शुरुआत में सचिन टेनिस बॉल से प्रैक्टिस करते थे। उनके इस रुझान पर सबसे पहली नजर उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर की पड़ी।

उन्होंने अपने पिता रमेश से सचिन के क्रिकेट के बारे में चर्चा की। पिताजी ने सचिन को बुलाया। उस वक्त वो सिर्फ 12 साल के थे। उन्होंने सचिन से पूछा की वो क्या करना चाहते हैं और फिर उनकी बात सुनकर उन्हें क्रिकेट प्रशिक्षण के लिए दाखिला दिलवा दिया और सीजन बॉल से सचिन की प्रेक्टिस शुरु हो गई।

13 सिक्के हैं सबसे अनमोल रुपए

सचिन के पहले गुरु उनके कोच सर आचरेकर थे जिन्होंने सचिन को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। सचिन के पिता ने रमाकांत आचेरकर के यहां सचिन का दाखिला कराया जो क्रिकेट के द्रोणाचार्य कहे जाते थे। गौरतलब है कि सचिन तेज गेंदबाजी सीखने के लिए M.R.F Foundation के ट्रेनिंग कैंप में गए।

वहां उन्होंने तेज गेंदबाजी का अभ्यास शुरु किया, लेकिन डेनिस लिली जो इस कार्यवाही का नेतृत्व कर रही थी वो सचिन की गेंदबाजी से प्रभावित नहीं हुई। उन्होंने सचिन से कहा कि वो अपने बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करें। इसके बाद सचिन तेज बल्लेबाजी की प्रैक्टिस करने लगे।सचिन के कोच रमेश आचरेकर बहुत ही अनोखे तरीके से  प्रैक्टिस कराया करते थे। वो क्रीज पर विकेट के ऊपर 1 रुपए का सिक्का रख देते थे। अगर कोई गेंदबाज सचिन को ऑउट कर देता तो वो सिक्का गेंदबाज को मिलता और अगर सचिन आउट नहीं होते तो वो सिक्के उन्हें मिलते। सचिन को अपने गुरु से ऐसे ही 13 सिक्के मिले जिसे उन्होंने अभी तक संभाल कर रखे हैं।

सचिन ने 1990 में इंग्लैंड दौरे में अपने टेस्ट क्रिकेट का पहला शतक लगाया और इसमें उन्होंने 119 रन बनाए थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में सचिन का शानदार प्रदर्शन रहा। सचिन ऐसे ही खेलते रहे और आगे बढ़ते रहे। इसके बाद 1996 में वर्ल्ड कप के दौरान सचिन को टीम का कैप्टन बना दिया गया। 1998 में उन्होंने कप्तानी छोड़ दी लेकिन 1999 में उन्हें फिर कप्तान बना दिया गया। अपने कप्तानी के दौरान उन्होंने 25 में से सिर्फ  4 मैच जीते और इसलिए कभी कप्तानी ना करने का फैसला कर लिया।

भारत रत्न से सम्मानित हो चुके हैं सचिन

सचिन ने 23 दिसंबर 2012 को वन डे क्रिकेट से सन्यास ले लिया था। इसके बाद 16 नंवबर 2013 को मुंबई के अपने अंतिम टेस्ट में 74 रनों की पारी खेलकर उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ले लिया। सचिन के नाम कई वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं। साथ ही उन्हें कई पुरुस्कारों से नवाजा गया है जिसमें अर्जुन पुरुस्कार, पद्म विभूषण, पद्मश्री जैसे कई पुरुस्कार शामिल है। सचिन को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है।

सचिन की कामयाबी का बखान सिर्फ कुछ शब्दों में नहीं किया जा सकता। वो जितने महान खिलाड़ी हैं उतने ही महान शख्सियत भी हैं। सचिन ने अपने निजि जिंदगी में भी कभी किसी विवाद से नाता नहीं जोड़ा और सिर्फ अपने खेल में जुटे रहे। उनका कभी किसी और लड़की से नाम भी नहीं जुड़ा। उन्होंने अंजली से प्यार किया और उन्हीं से शादी भी की। आज सचिन अपने परिवार के साथ बहुत खुश हैं। हालांकि कोरोना के चलते सचिन ने अपना जन्मदिन मनाने से इनकार कर दिया है और वो बहुत ही सादगी भरे तरीके से परिवार के बीच अपना जन्मदिन मनाएंगे।

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